खटीमा के विकास की चुटीले अंदाज में यूट्यूबर कमल चन्द्र ने खाेली कलई, खूब वायरल हो रहा वीडियो
19 साल में खटीमा शहर में कितना विकास हुआ इस पर बनी एक मॉक्यूमेंट्री फिल्म इन दिनों सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। दो दिनों में 26 हजार से अधिक लोगों इसे देख चुके हैं।
खटीमा, जेएनएन : 19 साल में खटीमा शहर में कितना विकास पहुंचा इस पर बनी एक "मॉक्यूमेंट्री" फिल्म इन दिनों सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। दो दिनों में करीब 26 हजार से अधिक लोगों इसे देख चुके हैं। "विकास की तलाश" नाम पर बनी मॉक्यूमेंट्री को बनाने के पीछे झूठ के प्रचार को उजागर किया गया है। इसमें अधिकारियों के दावे और नेताओं की घोषणाओं की पोल भी खोली है।
वीडियो में दिखा है शहर का खोखला वीडियो
यूट्यूबर कमल चंद्र ने इस मॉक्यूमेंट्री को बनाकर इसे अपने यू-ट्यूब चैनल सोशल मीडिया में वायरल किया है। मजाकिया अंदाज में विकास कराने व करने पर व्यंगात्मक तरीके से दर्शाया गया है। सबसे पहले यह वीडियो खटीमा को छोटा शहर दमदार शहर का दर्जा देकर शुरुआत की गई है, जहां शहर की चारों तरफ की सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। चाहे वह कंजाबाग रोड या डिग्री काॅलेज रोड। दोनों ही सड़कों में जो भी चलता है वह यहां की सरकारी सुस्त व्यवस्था को कोसता जरूर है। उच्च शिक्षा के नाम पर महाविद्यालय है। वीडियो में यह दिखाया गया है। शाम ढलने के बाद कॉलेज के पीछे रंगीन महफिल भी जम जाती है, जहां दो कस का धुआं आसमान तक पहुंचता है।
नौजवानों की हुडदंगई पर भी तंज
पहाड़ के पलायन से बड़ी इस क्षेत्र की आबादी को जाम के झाम से दो-चार होना आम बात है। डिग्री कॉलेज रोड पर शाम को लड़कियों की कोचिंग छूटने का समय होता है, वहीं लड़के बुलेट लेकर अपनी बाइकर्स कला का प्रदर्शन करते हैं। इस गली की सड़क में घरों का गंदा पानी पिछले पांच सालों से बह रहा है। नेता हो या अधिकारी उनके पास जाने पर तत्काल आश्वासन थमा देते हैं। उसी आश्वासन के सहारे कई सालों से लोग आ जा रहे हैं। रात के वक्त सड़क पर पैदल चलने के लिए खुद की टार्च लेकर चलना पड़ता है।
17 मिनट के वीडियो में खोली गई है विकास की कलई
इस तरह से 17 मिनट के इस वीडियो में खटीमा के विकास की कलई खोलकर रख दी गई है। विकास को लेकर क्षेत्र में सड़क, पानी व बिजली जैसी आधारभूत समस्याओं का निवारण न होना सोचने पर मजबूर करता है। इस लिहाज से मॉक्यूमेंट्री का नाम विकास की तलाश का चयन अपने को सार्थक साबित कर रहा है। आखिर विकास हो कहां रहा है...।
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