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    हाई कोर्ट के फैसले से कैलाशानंद मिशन को झटका: ट्रस्ट की संपत्ति, धर्मशाला, मंदिर-गौशाला बीकेटीसी के हवाले

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 02:35 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने स्वामी कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट की संपत्ति बीकेटीसी को सौंपने का आदेश दिया है, जब तक कोर्ट में विचाराधीन विवाद सुलझ नहीं जाता। ऋषिकेश के पास स्थित ट्रस्ट की संपत्ति का विवाद 2014 से चल रहा था। कोर्ट ने बीकेटीसी को रिसीवर नियुक्त किया है, जो ट्रस्ट की संपत्तियों का प्रबंधन जनहित में करेगा। बदरी केदार मंदिर समिति ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

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    हाई कोर्ट ने पारित किया अहम निर्णय। प्रतीकात्‍मक

    जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित कर स्वामी कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट की संपूर्ण संपत्ति, धर्मशाला, मंदिर गोशाला इत्यादि को कोर्ट में विचाराधीन विवाद सुलझने तक श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के सुपुर्द करने के आदेश पारित किए हैं।

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    ऋषिकेश के निकट लक्ष्मण झूला से सटे हुए इस ट्रस्ट की संपत्ति का विवाद तब सामने आया, जब ट्रस्ट और उसकी संपत्ति पर अधिकार संबंधी विवाद देहरादून जिला न्यायालय में 2014 में प्रस्तुत किया गया था। कोर्ट ने इस बात को ध्यान में रखा कि बीकेटीसी एक वैधानिक निकाय है और रिसीवर बनने के लिए सबसे उपयुक्त है।

    न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने पूरे मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद प्रस्तुत साक्ष्यों का संज्ञान लेने और ट्रस्ट की संपत्ति, धर्मशाला इत्यादि के संचालन का दायित्व बीकेटीसी को सौंपने का आदेश जारी कर दिया। एकलपीठ में सुनवाई के दौरान पता चला कि लक्ष्मण झूला के निकट ट्रस्ट के मंदिर व मसूरी स्थित धर्मशाला जौंक गावं में गौशाला समेत अन्य चल अचल संपत्तियों पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है ,कई ट्रस्ट की संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके खुर्द बुर्द कर रहे हैं। इस मामले में ट्रस्ट के मूल हकदारों को गलत हथकंडे अपनाकर बाहर कर दिया गया था।

    कोर्ट के निर्णय के बाद बीकेटीसी को अब से कैलाशानंद ट्रस्ट मिशन का प्रतिनिधित्व किसी भी न्यायालय, प्राधिकरण या सरकारी विभाग के समक्ष करने का अधिकार होगा। बीकेटीसी ट्रस्ट संपत्तियों पर अपना साइनबोर्ड लगा सकेगी। इसके अलावा ट्रस्ट की संपत्तियों व धन का उपयोग केवल जनहित और गैर-लाभकारी गतिविधियों के लिए कर सकेगी। जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि आवश्यकता पड़ने पर समिति को पूरा सहयोग प्रदान करे।

    कोर्ट का यह भी है आदेश

    एकलपीठ ने वर्तमान रिसीवर राजेश पैन्यूली को पूरा रिकॉर्ड तुरंत बीकेटीसी के अधिकृत प्रतिनिधि को सौंपने का भी निर्देश दिया। पीठ ने आगे कहा, 'पैन्यूली को वर्तमान रिसीवर के रूप में सह-चुना जाना पूरी तरह से बीकेटीसी का विशेषाधिकार और विवेकाधिकार है। बीकेटीसी बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर जैसे ऐतिहासिक मंदिरों सहित 48 मंदिरों और धर्मशालाओं की देखभाल और प्रबंधन कर रहा है।

    बीकेटीसी अब ट्रस्ट के उद्देश्यों और उपनियमों के अनुसार इसका प्रबंधन और प्रशासन करेगा। यह ट्रस्ट के कार्यों के सुचारू और प्रभावी प्रबंधन के लिए ट्रस्ट के धन और उसकी संपत्तियों के उपयोग सहित सभी आवश्यक कदम उठा सकता है।


    श्री बदरी केदार मंदिर समिति हाई काेर्ट के निर्णय का स्वागत करती है। काेर्ट ने जो दायित्व समिति को सौंपा है उन बिंदुओं के अनुपालन में जिला प्रशासन के सहयोग से सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। न्यायालय की ओर से व्यक्त विश्वास पर समिति आभार व्यक्त करती है। हम राज्य की सीमाओं में स्थित सभी हिंदू धर्म स्थलों व मंदिरों के सुचारू संचालन और प्रबंधन के प्रति समर्पण भाव से अपना दायित्व निभाएंगे। बीकेटीसी 1939 से स्थापित देश की सर्वोच्च धार्मिक कार्यदायी वैधानिक व्यवस्था के अधीन संचालित होती है। - हेमंत द्विवेदी, अध्यक्ष बदरी केदार मंदिर समिति।

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