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    जंगल-नदी पार कर 14 किमी पैदल चल स्‍कूल पहुंचने वाली जानकी तीन गांवों की पहली इंटर पास लड़की बनी

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 03 Jun 2019 11:10 AM (IST)

    14 किमी की दूरी टूटी-फूटी चप्पलों से रोजाना जंगल और नाले पार कर तय की। 11वीं व 12वीं की पढ़ाई एक स्कूल ड्रेस से पूरी की। आखिरकार परिणाम भी सुखद आया। ...और पढ़ें

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    जंगल-नदी पार कर 14 किमी पैदल चल स्‍कूल पहुंचने वाली जानकी तीन गांवों की पहली इंटर पास लड़की बनी

    डीडीहाट/पिथौरागढ़, जेएनएन : 14 किमी की दूरी टूटी-फूटी चप्पलों से रोजाना जंगल और नाले पार कर तय की। 11वीं व 12वीं की पढ़ाई एक स्कूल ड्रेस से पूरी की। आखिरकार परिणाम भी सुखद आया। तहसील डीडीहाट के कूटा चौरानी में रहने वाली प्रदेश की एकमात्र आदिम वनराजि समाज की जानकी तीन गांवों की ऐसी पहली लड़की बनी जो इंटर पास है। कूटा, चौरानी और मदनपुरी तीन वनराजि गांवों में पहली इंटर पास छात्रा जानकी को अब आगे की पढ़ाई के लिए संघर्ष करना है। 

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    जानकी वनराजि परिवार की है। इसके माता पिता अति गरीब हैं। जैसे-तैसे खेती से परिवार का पेट पलता है। विषम आर्थिक परिस्थिति के बावजूद जानकी ने मेहनत व लगन के बूते इस वर्ष उत्तराखंड बोर्ड से इंटर की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की है। हाईस्कूल भी जानकी ने घर से तीन किमी दूर जाकर पास किया। इंटर करने के लिए उसे 14 किमी दूर दूनाकोट जाना था। गांव से विद्यालय तक का अधिकांश रास्ता जंगलों से होकर गुजरता था। जानकी ने इसकी परवाह नहीं की। रोज वह पढ़ाई के लिए 14 किमी दूरी नापती थी। उतार-चढ़ाव के जंगली रास्तों से नाले पार कर विद्यालय आती-जाती रही। उसके पास मात्र एक स्कूल की ड्रेस थी। दो साल जानकी ने एक ही वर्दी से गुजार दिए। चप्पलें पहन कर ही उसने ऊबड़-खाबड़ रास्ते पार किए।

    अब इंटर पास करने के बाद तीन गांवों के वनराजि समाज में पहली इंटर पास होने का गौरव हासिल किया। परंतु विडंबना अब यह है कि जानकी की आगे की पढ़ाई की राह भी मुश्किल नजर आ रही है। जानकी की इच्छा उच्च शिक्षा ग्रहण कर नौकरी करने की है। परंतु, चिंता यह है कि नजदीक में कोई महाविद्यालय नहीं है। परिवार पढऩे के लिए शहर में कमरा किराए पर लेकर पढ़ा पाने में असमर्थ है। जानकी इसे लेकर मायूस है। आश्चर्य इस बात का भी है कि जनजाति के लिए समाज कल्याण विभाग से प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति का प्रावधान है, परंतु जानकी को कक्षा नौ के बाद से अब तक छात्रवृत्ति भी नहीं मिली है। जानकी अपने इंटर तक के सफल मुकाम के लिए अपनी माता देवकी देवी और पिता हयात सिंह के अलावा गुरु जनों को देती है। उसी की राह पर चल कर उसका छोटा भाई भी कक्षा दस में पढ़ रहा है।

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