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आइएसबीटी का मुद्दा भाजपा व कांग्रेस के लिए सियासी अखाड़े का मैदान बना रहा

कुमाऊं के लिए बहुपयोगी आइएसबीटी का निर्माण सियासी अखाड़े में फंसकर रहा गया है। यह परियोजना पिछले साल अफसरों के दौरों तक ही सीमित रही।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 11:18 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 06:53 PM (IST)
आइएसबीटी का मुद्दा भाजपा व कांग्रेस के लिए सियासी अखाड़े का मैदान बना रहा
आइएसबीटी का मुद्दा भाजपा व कांग्रेस के लिए सियासी अखाड़े का मैदान बना रहा

हल्द्वानी, जेएनएन : कुमाऊं के लिए बहुपयोगी आइएसबीटी का निर्माण सियासी अखाड़े में फंसकर रहा गया है। यह परियोजना पिछले साल अफसरों के दौरों तक ही सीमित रही। शासन से लेकर अफसर तक आइएसबीटी के लिए जमीन तक फाइनल नहीं कर पाए। हालांकि साल के अंतिम महीने में शासन स्तर पर तीनपानी की जमीन फाइनल होने की चर्चा उठी, लेकिन ये आदेश भी जिला प्रशासन या परिवहन महकमे के अफसरों तक नहीं पहुंचा।

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आइएसबीटी का मुद्दा भाजपा व कांग्रेस के लिए पूरे साल सियासी अखाड़े का मैदान बना रहा।

कांग्रेस सरकार में लंबी जद्दोजहद के बाद गौलापार में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के पास आइएसबीटी निर्माण के लिए आठ हेक्टेयर भूमि मिली। इस भूमि पर आइएसबीटी निर्माण का शिलान्यास करने के साथ ही काम भी शुरू हो गया, मगर मई 2017 में यहां कंकाल मिलने के बाद राजनीति गरमा गई। भाजपा सरकार ने गौलापार में आइएसबीटी बनाने की योजना ही निरस्त कर दी। इसके बाद परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी को नई जमीन ढूंढने का काम सौंपा गया। कमेटी ने तीनपानी, कालाढूंगी रोड व एफटीआइ के पास तीन जमीन देखी। इसके बाद शासन में बैठे कई उच्चाधिकारियों ने जमीन का जायजा लिया और जल्द ही इस पर फाइनल मुहर लगाने का दावा किया। फरवरी में एमडी परिवहन निगम, अपर परिवहन आयुक्त ने संयुक्त निरीक्षण किया। पांच माह पहले नए परिवहन आयुक्त ने भी तीनपानी स्थित भूमि देखी। हालांकि शुरुआत से ही तीनपानी की जमीन फाइनल होने के कयास लगते रहे। 29 नवंबर 2018 को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी केवल तीनपानी का ही दौरा कर इसी जमीन के फाइनल होने के कयासों को हवा दे दी। उनके दौरे के एक माह बाद भी सरकार जमीन फाइनल होने का आदेश जारी नहीं कर पाई है।

गौलापार में आइएसबीटी निर्माण के लिए काटे गए थे हजारों पेड़

वर्ष 2015 में आइएसबीटी निर्माण के लिए गौलापार स्थित आठ हेक्टेयर वन भूमि परिवहन विभाग को वन विभाग से मिली थी। इसके बदले में सरकार ने बागेश्वर में दोगुनी भूमि वन विभाग को दी। जमीन मिलते ही पहली किश्त में 75 करोड़ रुपये जारी करने के साथ ही निर्माण एजेंसी से काम भी शुरू करा दिया गया। भूखंड निर्माण के लिए 2625 पेड़ काटे गए थे।

तीनपानी बाइपास के चौड़ीकरण का प्रस्ताव भी अटका

आइएसबीटी निर्माण के लिए तीनपानी-टीपीनगर बाइपास में नहर कवङ्क्षरग कर सड़क चौड़ीकरण का काम भी होना है। शासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, जलसंस्थान व ऊर्जा निगम ने संयुक्त रूप से 22.65 करोड़ का प्रस्ताव बनाया। इसमें नहर कवर होने के साथ ही सड़क निर्माण पेयजल व बिजली की लाइनें शिफ्ट आदि काम होने हैं। छह महीने पहले जिलाधिकारी के माध्यम से ये प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया गया। अब तक इस प्रस्ताव पर भी सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिली है।

भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया भी नहीं हो सकी

सरकार के अंतिम निर्णय नहीं लेने से नई जमीन के भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही भी शुरू नहीं हो पायी। वन विभाग के अफसरों की मानें तो भूमि हस्तांतरण आइएसबीटी निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बनेगी। पूर्व में वन विभाग परिवहन विभाग को आइएसबीटी के लिए गौलापार में जमीन दे चुका है। एक ही परियोजना के लिए दोबारा जमीन मिलना आसान नहीं होगा। सरकार को बताना होगा कि पुरानी जमीन पर वह क्या करेगी। वह जमीन वन विभाग को वापस लौटाएगी या उस जमीन पर दूसरी परियोजना का निर्माण करेगी। इसके बाद परिवहन विभाग व वन विभाग संयुक्त रूप से प्रस्ताव बनाकर वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त को भेजेंगे। वहां से प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के नोडल अफसर को जाएगा। नोडल अफसर से हरी झंडी मिलने पर जमीन हस्तांतरण हो पाएगा। वहीं जमीन हस्तांतरण से पहले सरकार को दोगुनी जमीन किसी दूरी जगह पर वन विभाग को देने के साथ ही पौधरोपण भी कराना होगा।

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