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    आठ साल बाद बढ़ी कैदियों की मजदूरी, अब तीस की जगह 44 रुपये हो गई न्यूनतम मजदूरी

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 16 Mar 2020 08:23 PM (IST)

    आठ साल बाद सेंट्रल जेल के कैदियों की मजदूरी बढ़ा दी गई है। बढ़ी हुई मजदूरी इसी महीने से मिलना शुरू हो गई है। कुशल श्रेणी के कैदियों का पारिश्रमिक सबसे ...और पढ़ें

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    आठ साल बाद बढ़ी कैदियों की मजदूरी, अब तीस की जगह 44 रुपये हो गई न्यूनतम मजदूरी

    सितारगंज, जेएनएन : आठ साल बाद सितारगंज स्थित सेंट्रल जेल के कैदियों की मजदूरी बढ़ा दी गई है। बढ़ी हुई मजदूरी इसी महीने से मिलेगी। कुशल श्रेणी के कैदियों का पारिश्रमिक सबसे अधिक 22 रुपये बढ़ा हैै। अब न्यूनतम मजदूरी तीस के बजाए 44 रुपये हो गई है। इसस पहले जेल में बंद मजदूरों का पारिश्रमिक वर्ष 2012 में बढ़ाया गया था।

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    जेल में काम करने वाले  कैदियों की तीन श्रेणी होती है। पहली कुशल, दूसरी अर्ध कुशल व तीसरी अकुशल श्रेणी। अभी तक अकुशल श्रेणी के कैदी को काम करने पर तीस रुपये मजदूरी दी जाती थी। अब मजदूरी 44 रुपये कर दी गई है। अर्धकुशल कैदियों की मजदूरी 17 रुपये बढ़ी है। पहले अर्धकुशल को 35 रुपये मिलते थे, अब 52 रुपये मिलेंगे। इसी तरह कुशल कैदियों की मजदूरी 45 से बढ़ा कर 67 रुपये कर दी गई है। जेल में बंद मजदूरों का पारिश्रमिक वर्ष 2012 में बढ़ाया गया था। आठ साल बाद उनका मेहनताना फिर से बढ़ाया गया है। जेल अधीक्षक दधिराम आर्य ने बताया कि कैदियों के पारिश्रमिक में चौदह से लेकर बाइस रुपयों की बढ़ोतरी हुई है। बढ़ा पारिश्रमिक दिया जाने लगा है।

    260 कैदी करते हैं काम

    सेंट्रल जेल में विभिन्न अपराधों के 660 से अधिक कैदी हैं। जिनमें प्रतिदिन 260 से अधिक कैदी मजदूरी कर करते हैं। जेल को प्रतिदिन मजदूरी में 12 हजार रुपयों से अधिक खर्च करने पड़ते हैं। मजदूरी बढ़ जाने से जेल का खर्च और अधिक बढ जाएगा।

    जेल की सुरक्षा में तैनात होते हैं कैदी

    जेल में बंद कैदियों से कई प्रकार के काम कराए जाते हैं। जिनमें खाना बनाना, सफाई करना, सुरक्षा कार्य, खेती, पानी पिलाने आदि कार्य शामिल है। सबसे अधिक कैदी खेती में काम करते है। ऐसे कैदी ज्यादातर अकुशल श्रेणी के होते है। कुशल श्रेणी कैदी पाकशाला व सुरक्षा कार्य में लगाए जाते हैं। कुशल श्रेणी के कैदी अपने आचरण व कार्य व्यवहार की वजह से विश्वसनीय माने जाते हैं।

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