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ब्लैक होल से निकलने वाली गामा किरणों के श्रोत ब्लेजार पर हुआ अहम अध्ययन, आप भी जानिए

ब्रम्हांड के रहस्य अनंत हैं। जहां हमेशा कुछ न कुछ ऐसा घटित होता है जो अभूतपूर्व होने के साथ रोमांच भी पैदा करता है । एक ऐसा ही नाम है ब्लेजार।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 07:28 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 09:34 AM (IST)
ब्लैक होल से निकलने वाली गामा किरणों के श्रोत ब्लेजार पर हुआ अहम अध्ययन, आप भी जानिए
ब्लैक होल से निकलने वाली गामा किरणों के श्रोत ब्लेजार पर हुआ अहम अध्ययन, आप भी जानिए

नैनीताल, जेएनएन : ब्रम्हांड के रहस्य अनंत हैं। जहां हमेशा कुछ न कुछ ऐसा घटित होता है जो अभूतपूर्व होने के साथ रोमांच भी पैदा करता है । एक ऐसा ही नाम है ब्लेजार। ब्लेजार, विशाल ब्लैक होल के केंद्र से निकलने वाली अति उच्च ऊर्जावान गामा किरणों का श्रोत है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के विज्ञानियों ने यूरोप व एशिया के नौ देशों के वैज्ञानिकों के साथ इस पर महत्वपूर्ण अध्ययन किया है। यह अध्ययन आकाश गंगाओं के ऊर्जा के श्रोत और उनके परिवर्तनों को समझने में अहम होगा। 

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शोध में शामिल रहे एरीज के शोधकर्ता डॉ. आलोक चंद्र गुप्ता ने बताया कि ब्लेजार क्वेजार का ही एक प्रकार है। ब्लेजार के क्षेत्र में अधिक शोध नहीं हो पाए हैं। इसके महत्व को देखते हुए विभिन्न देशों के 17 विज्ञानी 153 रात इस शोध कार्य मेंं जुटे रहे। अंतरिक्ष में करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर 1इएस0806प्लस 524 दिशा में स्थित ब्लेजार के बारे में अध्ययन किया। इसकी रोशनी में हो रहे तीव्र परिवर्तनों की पड़ताल की। यह परिवर्तन तीव्र व दीर्घ अल्पकालिक हुआ करते हैं। जिसके चलते यह शोध चुनौतीपूर्ण माना जाता है। 

इस संदर्भ में वर्तमान में हो रहे परिवर्तनों के पीछे की प्रतिक्रियाओं की व्याख्या कर विस्तृत जानकारी जुटाई है। विज्ञानियों का मानना है कि ब्लेजार में जो विशाल प्रदीप्तियां देखी गई हैं, एक जेट यानि फुहार में शीध्र आवेशित किए जा रहे कणों के आघात तरंगों में संचरण से पैदा होती हैं। जेट के अंदर सर्वाधिक ऊर्जा का क्षेत्र सर्पिल या विक्षोभ के प्रकार का हो सकता है। 

इस अध्ययन दूर की आकाशगंगाओं के ऊर्जावान क्षेत्रों की प्रकृति को समझने के लिए बेहद अहम है। तकनीक विकसित हो जाने के बाद संभव हो सकता है कि हम वर्तमान में तरंगों पर एक ही समय पर अलग-अलग स्थान से अध्ययन कर सकते हैं। इस शोध में उनके साथ एरीज के वैज्ञानिक डॉ. अश्विन पांडे शामिल रहे। यह शोध फिजिकल जर्नल में प्रकाशित हो चुका है।

दो दूरबीनों से शोध को अंजाम तक पहुंचाया

शोध में भारत से एरीज के अलावा जर्मनी, जॉर्जिया, यूएसए, सर्बिया, बुलगेरिया, चायना, रसिया व स्पेन के 17 विज्ञानियों ने एक साथ एक ही समय पर अध्ययन किया। जिसमें सात वेदशालाओं के जरिए शोध पूरा किया जा सका। शोध के दौरान एरीज की मनोरापीक स्थित एक मीटर संपूर्णानंद व देवस्थल स्थित 1.3 मीटर ऑप्टिकल दूरबीन का सहारा लिया गया था। 

विज्ञानियों के आकर्षण का केंद्र हैं सुपर मैसिब ब्लैक होल

ब्लेजार विशाल होल से निकलने वाले उच्च उर्जावाल शक्तिशाली किरणें हैं। यह किरणें जेट यानि फुहार के रूप में बाहर निकलती हैं। ये ब्रम्हांड के उच्च ऊर्जा के श्रोत हैं। जिस कारण विज्ञानियों के लिए यह आकर्षण के केंद्र में रहते हैं।

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