Move to Jagran APP

विदेशी परिंदों पर मंडरा रहा मौत का साया, घात लगाए बैठे हैं शिकारी

शारदा सागर डैम में शिकारियों के निशाने पर हमेशा रहने वाले इन मेहमान पक्षियों की सुरक्षा भगवान भरोसे होने से उन पर मौत का साया मंडरा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 12:14 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 08:10 PM (IST)
विदेशी परिंदों पर मंडरा रहा मौत का साया, घात लगाए बैठे हैं शिकारी
विदेशी परिंदों पर मंडरा रहा मौत का साया, घात लगाए बैठे हैं शिकारी

महेश जोशी, खटीमा : सर्द मौसम में सुरक्षित ठिकाने की तलाश में सात समुद्र पार से आए विदेशी परिंदों ने शारदा सागर डैम में डेरा डाल दिया है। शिकारियों के निशाने पर हमेशा रहने वाले इन मेहमान पक्षियों की सुरक्षा भगवान भरोसे होने से उन पर मौत का साया मंडरा रहा है। दरअसल नेपाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक इन मेहमान पक्षियों के मांस की बड़ी मांग रहती है। जिसकी पूर्ति करने के लिए शिकारी इनका कत्ल करने कोई गुरेज नहीं करते।

loksabha election banner

खटीमा के बाइस पुल से यूपी के पीलीभीत जिले तक 22 किलोमीटर की परिधि में फैले शारदा सागर डैम विदेशों से आए हजारों पक्षियों का मनपंसद स्थल है। नेपाल सीमा को छूने के साथ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की सीमा में फैले इस डैम में चाइना, मंगोलिया, साइबेरिया समेत आधा दर्जन यूरोपीय देशों के पचास हजार से अधिक परिंदे ठंड होते ही यहां पहुंच जाते हंै। 22 किलोमीटर की परिधि में फैले इस डैम का 6 किलोमीटर हिस्सा उत्तराखंड में पड़ता है। शेष हिस्सा यूपी के अधीन है। दो प्रदेशों में डैम के होने की वजह से सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। उत्तराखंड के हिस्से में भी वन विभाग का इस डैम पर कोई पहरा नहीं है। जिसका फायदा शिकारी उठाते हैं।

दो तरीके  से होता मेहमानों का शिकार

डैम के किनारे बसे गांव शिकारियों के प्रमुख अड्डे हैं। इन  गांवों के जरिए वे डैम पहुंचकर दो तरीके  से परिंदों की जान लेते हैं। शिकारी कीटनाशक जहर का प्रयोग करते हैं। जिस स्थान पर पानी अधिक होता है वहां पर शिकारी तितलियों को मारकर उनके पीठ पर जहरीली दवा लगाते हैं। फिर उन्हें एक हरे पत्तों पर तितलियों को रख देते हैं। जब पक्षी डाम पर बसेरा डालने पहुंचते हैं। भोजन समझ कर तितलियों को खाते हैं। खाते ही मेहमान पक्षी मौत के आगोश में समा जाते हैं। इसके अलावा शिकारी जाल डालकर उन्हें फंसा लेते है। जिंदा शिकार मंहगा बिकता है।

गर्म होता है पक्षियों का मांस

साइबेरियन पक्षियों की मांग स्थानीय के अलावा नेपाल व यूपी के पीलीभीत, खीरी आदि में खूब है। इन पक्षियों का मांस गर्म, स्वादिष्टï व नरम होता है। इसी वजह से इसकी मांग सर्द मौसम में अधिक रहती है।

दस प्रजाति के पहुंचते हैं पक्षी

शारदा सागर डैम में विदेश से आए ब्लैक नेक्ड, यूरहैन, यूरेशियन कूट, नार्दन पिटेल, रेडीसल डक, मलयड, स्पोर्टबिल्ड डक, रेड हेटिड, आईबी रेस, पेन्ट्रेक स्ट्रोक आदि प्रजाति के पक्षी पहुंचे है। जो चार महीने यहां रहने के बाद फरवरी-मार्च में अपने वतन लौट जाते हैं।

डैम में वन विभाग का कोई कर्मचारी नहीं

बाबूलाल, उप प्रभागीय वनाधिकारी, खटीमा ने बताया कि डैम में वन विभाग का कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं है। लेकिन गश्त कराई जा रही है। शिकार न हो इसके लिए मुखबिर भी लगाए गए हंै। उनका कहना है कि दो प्रदेशों में डैम होने की वजह से बेहतर सुरक्षा करना बड़ी चुनौती है।

यह भी पढ़ें : आसमान में आकर्षण का केंद्र बनेगा धूमकेतु, गुजरेगा धरती के करीब से

यह भी पढ़ें : वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये होगी कैदियों की पेशी, अपराधियों पर लगेगा अंकुश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.