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हिमालय के वीरान गांवों में खुला रोजगार का द्वार, होम स्टे योजना से पर्यटकों की बढ़ी आमद

उच्च हिमालयी क्षेत्र के वीरान पड़े गांव रोजगार मिलने से गुलजार हो उठे हैैं। 16 साल पहले मुनस्यारी में पहला होम स्टे बना था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 12:02 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 02:35 PM (IST)
हिमालय के वीरान गांवों में खुला रोजगार का द्वार, होम स्टे योजना से पर्यटकों की बढ़ी आमद
हिमालय के वीरान गांवों में खुला रोजगार का द्वार, होम स्टे योजना से पर्यटकों की बढ़ी आमद

पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : उच्च हिमालयी क्षेत्र के वीरान पड़े गांव रोजगार मिलने से गुलजार हो उठे हैैं। 16 साल पहले मुनस्यारी में पहला होम स्टे बना था। आज मुनस्यारी से लेकर व्यास घाटी तक 115 होम स्टे मौजूद हैैं। सरमोली गांव के 35 घरों में यह सुविधा है और यह गांव पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है। इस क्षेत्र में पर्यटन का सीजन सितंबर से शुरू हो चुका है, जो अगले कुछ माह तक जारी रहेगा। देशी-विदेशी पर्यटकों की चहल-पहल धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। 

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सरमोली ही नहीं, चीन व नेपाल सीमा से लगे उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र के और भी कई गांवों को होम स्टे व्यवसाय ने बड़ी राहत पहुंचाई है। बड़ी बात यह कि यहां अब ग्रामीणों के पलायन पर भी अंकुश लग रहा है। सबसे पहले मुनस्यारी में उद्यमी मल्लिका विर्दी ने होम स्टे व्यवसाय की शुरुआत की थी, जो धीरे-धीरे फैलता जा रहा है। राज्य को बेहतर पर्यटन और सुदूर ग्रामीणों को बेहतर रोजगार, जब ये दोनों लक्ष्य साथ सधते दिखे तो सरकार ने भी इस ओर ध्यान देना शुरू किया। नतीजा सभी के लिए सुखकर रहा। पर्यटकों को जहां अपने पसंदीदा पर्यटन स्थल में और ठेठ प्राकृतिक वातावरण में ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था सुलभ हो गई, तो ग्रामीणों को उन्हें अपने घरों में ठहराकर आसान रोजगार मुहैया हो गया। सीजन के चार माह में उन्हें पर्याप्त कमाई हो जाती है।

पर्यटन विभाग और कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने भी दारमा, व्यास घाटी क्षेत्र में तैयार किए गए विशेष घर (होम स्टे के लिए) ग्रामीणों को लीज पर दिए हैं। दो साल से कैलास मानसरोवर यात्री भी उच्च हिमालयी व्यास घाटी के नाबी गांव में एक रात होम स्टे में प्रवास करते हैं। इसके अलावा सरकारी विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को इस क्षेत्र में जाने पर होम स्टे में ही रहने के आदेश हैंं।

ऐसे हुई थी शुरुआत

मल्लिका ने जब मुनस्यारी में पहला होम स्टे शुरू किया, तब मुनस्यारी में होटलों की संख्या बेहद सीमित थी। हिमालय और ग्लेशियरों तक पहुंचने और ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों को ठहरने के लिए भारी दिक्कतें झेलनी पड़तीं। मल्लिका ने मुनस्यारी से सटे सरमोली गांव में होम स्टे बनाने का विचार किया। मल्लिका ने अपने व्यवहार और कार्यों से स्थानीय लोगों के बीच अपनी पहचान बना ली। ग्रामीणों ने भी न केवल उन्हें मान-सम्मान दिया बल्कि वन पंचायत का सरपंच तक चुना। तब ग्रामीणों की कमजोर वित्तीय हालात को देखते हुए मल्लिका ने सरमोली गांव में महिलाओं के माध्यम से ही होम स्टे चलाने का निर्णय लिया। महिलाएं प्रेरित हुई और देखते ही देखते आज सरमोली गांव में 35 घरों से होम स्टे संचालित हो रहा है। यह क्षेत्र पर्यटकों की पहली पसंद भी है। 

पलायन रोकने में भी कारगर...

अमित लोहनी, जिला पर्यटन अधिकारी, पिथौरागढ़, उत्तराखंड ने बताया कि होम स्टे उच्च हिमालय में वीरान हो रहे गांवों को फिर से गुलजार करने में सक्षम साबित हो रहे हैं। यह योजना सीमांत के गांवों से पलायन रोकने में भी कारगर साबित होने लगी है। आने वाले समय में तीनों उच्च हिमालयी घाटियां व्यास, दारमा व मिलम सड़क से जुडऩे वाली हैं, जिससे पर्यटकों की संख्या यहां काफी अधिक हो जाएगी। स्थानीय ग्रामीण इससे सीधे लाभान्वित होंगे और पर्यटन कारोबार बढ़ेगा।

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