पीपल के जड़ से निकला शिवलिंग, नाम पड़ा पिपलेश्वर महादेव, जानें इतिहास और महात्म
श्रावण में भक्त भगवान शिव के पूजन में जुटे हैं। शहर बीचोबीच पटेलचौक पर स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन शिवालयों में से एक है।
हल्द्वानी, जेएनएन : श्रावण में भक्त भगवान शिव के पूजन में जुटे हैं। शहर बीचोबीच पटेलचौक पर स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन शिवालयों में से एक है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। भगवान शिव के इस मंदिर के प्रति कुमाऊंभर के लोगों की आस्था है। यही वजह है कि विभिन्न स्थानों से हल्द्वानी बाजार आने वाले लोग यहां आकर शिव के दर्शन करना नहीं भूलते। मंदिर में शिव परिवार का पूजन कर चांदी की पतली चादर से ढके शिवलिंग का बेल पत्र एवं दूध व गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
जानें मंदिर का इतिहास
पिपलेश्वर महादेव मंदिर के विषय में बताया जाता है कि यहां पर पहले पीपल का वृक्ष हुआ करता था। जिसकी जड़ से शिवलिंग प्राप्त हुआ। लगभग 50 वर्ष पूर्व शहर में आबादी बहुत कम हुआ करती थी। पीपल के वृक्ष पर आसपास के लोग जल चढ़ाने आया करते थे। धीरे-धीरे यह स्थान शिव पूजन का पवित्र स्थान बन गया। बाद में महादेव गिरि जी महाराज ने मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में देव प्रतिमाओं की स्थापना की गई। मंदिर के गर्भ गृह में संगमरमर से बनाया गया शिवलिंग भक्तों के विशेष आकर्षण का केंद्र है। शिवलिंग पर चांदी की परत लगाई गई है। मंदिर के बाहर धार्मिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व के पीपल और बड़ के पेड़ एक साथ हैं। जहां शिव पूजन के साथ ही प्रतिवर्ष वट सावित्री का पूजन भी किया जाता है।
तैयारियां
सावन में पिपलेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। जिसे देखते हुए मंदिर में शिव पूजन की विशेष तैयारियां की जाती हैं। प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सांध्यकालीन आरती उतारी जाती है। बाजार क्षेत्र में होने के कारण यहां बड़ी संख्या में व्यापारी शिव पूजन के लिए आते हैं। सावन के अलावा व अन्य महीनों में धार्मिक पर्व पर मंदिर में यज्ञ-अनुष्ठान किए जाते हैं।
सावन में होता है भोले का श्रृंगार
माता हरिप्रिया यति, व्यवस्थापक पिपलेश्वर महादेव मंदिर ने बताया कि मंदिर में सावन के महीने में भगवान शिव का प्रतिदिन विशेष पूजन व श्रृंगार किया जाता है। यहां वर्षभर भक्त शिव पूजन के लिए आते हैं, लेकिन सावन में लोग नियमित तौर पर जलाभिषेक करते हैं।