सूखाताल के सुंदरीकरण व निर्माण को हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, 21 मार्च तक मांगा जवाब
सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं। झील में पहले से ही लोगो ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये गए जिनको अभी तक नही हटाया गया।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने नैनीताल के सूखाताल झील का हो रहे सुंदरीकरण व भारी भरकम निर्माण कार्यों के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने सचिव पीडब्ल्यूडी, सचिव सिचाई, कुमायूँ कमिश्नर व जिला अधिकारी से 21 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे खंडपीठ में नैनीताल निवासी डॉ जीपी साह व अन्य को जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने पत्र का स्वतः संज्ञान लिया था। इन लोगों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बन्द होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था। पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं।
झील में पहले से ही लोगो ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये गए जिनको अभी तक नही हटाया गया। पहले से ही झील के जल स्रोत सूख चुके है, जिसका असर नैनी झील पर पड़ रहा है। कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नही है, मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पिया करते है, अगर वो भी सूख गया तो ये लोग पानी कहां से पिएंगे, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए। पत्र में यह भी कहा गया कि उन्होंने इससे पहले जिलाधिकारी कमिश्नर को ज्ञापन दिया था जिस पर कोई कार्यवाही नही हुई। याचिका में कोर्ट ने राज्य सरकार, सचिव पीडब्ल्यूडी, सचिव सिचाई, कमिश्नर कुमाऊं, जिलाधिकारी नैनीताल को पक्षकार बनाया है।