हाई कोर्ट ने राजाजी नेशनल पार्क और काॅर्बेट नेशनल पार्क के डायरेक्टर को दिए ये निर्देश
कोर्ट ने डायरेक्टर राजाजी नेशनल पार्क व डायरेक्टर काॅर्बेट नेशनल पार्क को निर्देश दिए हैं कि वह वन गुर्जरों और गलत तरीके से आवण्टित भूमि की भी जांच की कर रिपोर्ट सैंपे।
नैनीताल, जेएनएन। हाई कोर्ट ने वन गुर्जरों के विस्थान से सम्बंधित जनहित याचिका को सुनवाई के बाद निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने डायरेक्टर राजाजी नेशनल पार्क व डायरेक्टर काॅर्बेट नेशनल पार्क को निर्देश दिए हैं कि वह वन गुर्जरों की जांच के साथ दो महीने के भीतर गलत तरीके से आवण्टित भूमि की भी जांच की जाए।
दिनेश पांडे निवासी हल्दूचौर लालकुआं ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार 1993 से वन गुर्जरों की विस्थापन की कार्यवाही कर रही है परन्तु 26 साल बीत जाने के बाद भी वे विस्थापित नहीं किये गए, उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है । पूर्व में सरकार ने एक वन गुर्जर को पांच सौर वर्ग मीटर भूमि आवास व एक हजार वर्ग मीटर भूमि चारे के लिए दी थी। परन्तु इस आवण्टन में वन गूजरों सहित कई अन्य लोगों ने भी अधिकारियों से मिलकर वन भूमि को अपने नाम पर आवण्टित करा लिया । जिसके कारण वन भूमि, वन सम्पदा और जंगली जानवरों का विनाश हो रहा है । याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि कई लोगों ने खुद को वन गुर्जर बता कर भूमि अपने नाम आवण्टित करा ली। कई वन गुर्जरों ने पति व पत्नी के अलग अलग प्रमाण पत्र बनाकर भूमि आवण्टित करा ली है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि भूमि आवण्टन की जांच कराई जाय और वन गूजरों की भी जांच की जाय, जिससे पता चल सके की किन लोगों की फर्जी तरीके से भूमि आवण्टित की गयी । मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।
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