हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, कैसे दी नदी में मशीन से खनन की अनुमति
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा राज्य में नदी तक में सिर्फ मैनुअली खनन की इजाजत है तो मशीनों की अनुमति किस आधार पर दी गई है।
जेएनएन, नैनीताल : हाई कोर्ट ने नदियों में मशीनों द्वारा खनन की अनुमति और अनियंत्रित मशीनी खनन को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा राज्य में नदी तक में सिर्फ मैनुअली खनन की इजाजत है तो मशीनों की अनुमति किस आधार पर दी गई है। साथ ही यह भी पूछा है कि जब राज्य की खनन परिहार नियमावली-2017 में नदी तल क्षेत्रों में खनन हेतु जेसीबी, पोकलैंड, सेक्शन मशीन आदि का प्रयोग पूर्णत प्रतिबंधित है तो नियमावली के विरुद्ध नदियों में मशीनों से खनन का शासनादेश कैसे जारी किया गया है।
हल्द्वानी निवासी दिनेश चंदोला ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 13 मई को अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश से मशीनों से खनन की अनुमति दी गई थी। इसके बाद कोटद्वार में सुखरो, खोह नदी, नैनीताल जिले में बेतालघाट में तथा उधमसिंह नगर और विकास नगर तहसील जिला देहरादून मैं बड़े पैमाने पर मशीनों से अनियंत्रित खनन नदी क्षेत्रों में किया जा रहा है। इससे नदी तल बुरी तरह क्षत विक्षत हो रहे हैं और पर्यावरण पर बड़ा दुष्प्रभाव पड़ रहा है। चुगान की जगह मशीनों द्वारा नदियों में मशीनों से गड्ढे कर अवैज्ञानिक दोहन किया जा रहा है। यहां तक कि तहसील विकासनगर में मशीनों द्वारा यमुना नदी का रुख ही मोड़ दिया गया है और उस पर अवैध पुल बना दिया गया है। साथ ही माफियाओं की शह पर विरोध करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ताओं, उजागर करने वाले पत्रकारों का उत्पीडऩ भी किया जा रहा है। नदी तट खनन क्षेत्र अनियंत्रित अवैध मशीनी खनन के अड्डे बन चुके हैं।
न्यायालय ने 11 जून तक राज्य सरकार को हर हाल में, उपखनिज परिहार नियमावली के उल्लंघन के विषय में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूॢत रमेश रंगनाथन व न्यायमूॢत रमेश चंद्र खुल्वे की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली तिथि 11 जून नियत कर दी।
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