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देवस्थानम एक्ट के विरोध में स्‍वामी की याचिका पर हुई सुनवाई, सरकार से तीन सप्‍ताह में मांगा जवाब

प्रदेश सरकार के देवस्थानम एक्ट के विरोध में भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर मंगलवार को हाइकोर्ट में सुनवाई हुई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 12:25 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 08:29 PM (IST)
देवस्थानम एक्ट के विरोध में स्‍वामी की याचिका पर हुई सुनवाई, सरकार से तीन सप्‍ताह में मांगा जवाब
देवस्थानम एक्ट के विरोध में स्‍वामी की याचिका पर हुई सुनवाई, सरकार से तीन सप्‍ताह में मांगा जवाब

नैनीताल, जेएनएन : प्रदेश सरकार के देवस्थानम एक्ट के विरोध में भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर मंगलवार को हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करन को कहा है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश खुल्बे की खंडपीठ में याचिका पर सुनवाई हुई। बहस के दौरान सरकार को ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी आदि मौजूद रहे। स्वामी ने इस अधिनियम को असंवैधानिक करार देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करार दिया। कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। उन्होंने चारधाम देवस्थानम एक्ट रद किए जाने की मांग की।

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सुब्रमण्यम स्वामी के तर्क

तमिलनाडु केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मंदिरों का प्रबंधन स्थायी रूप से नहीं ले सकती है सरकार।

उत्तराखंड सरकार का 13 जनवरी 2020 का एक्ट संविधान का उल्लंघन।

तिरुपति मंदिर के प्रबंधन का दिया हवाला।

कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर, तिरुपति मंदिर के बारे में जानने की इच्‍छा जताई।

महाधिवक्ता का पक्ष

महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने किया सरकार का बचाव।

उन्‍होंने एक्ट को सही और संवैधानिक करार दिया।

जनहित जनहित याचिका नहीं प्रचार और राजनीतिक स्टंट पर आधारित है। याचिका खारिज हो। 

कोर्ट ने सरकार से चढ़ावे की रकम का प्रबंधन पूछा।

सरकार नहीं ले सकती है मंदिरों का प्रबंधन : स्‍वामी

नैनीताल स्थित होटल में पत्रकारों से बातचीत में स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। वित्तीय गड़बड़ी होने पर सरकार अल्पकालिक प्रबंधन ले सकती है मगर सुधार के बाद सरकार को प्रबंधन सौंपना होगा। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं बल्कि भक्त व हक हकूकधारियों का है।

70 सालों में बस मंदिरों पर नियंत्रण

स्वामी ने कहा कि 70 सालों में सरकारों की ओर से सिर्फ मंदिरों पर नियंत्रण किया गया, मस्जिद व गिरिजाघरों पर नहीं। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी मंदिरों को सरकारी सिस्टम से मुक्त कराने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि चारधाम देवस्थानम एक्ट रद किया जाए।

कांग्रेस सरकार बनी तो क्या हाल होगा

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सवाल उठाया कि अधिनियम में मुख्यमंत्री को हेड बनाया गया है। भविष्य में यदि कांग्रेस की सरकार आई तो मंदिरों का क्या हाल होगा, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।

भाजपा के सिद्धांत के खिलाफ हुआ है काम

स्वामी ने कहा कि आपातकाल का तब कांग्रेस के ही चंद्रशेखर ने विरोध किया था। यदि कोई सरकार भाजपा के सिद्धांत के खिलाफ कदम उठाती है तो उसे सही रास्ते पर लाने की नैतिक जिम्मेदारी भाजपा की ही है।

सरकार आशावादी, मैं अर्थशास्त्री

स्वामी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत चिंताजनक है। उन्होंने इस पर किताब भी लिखी है। साथ ही प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है। उम्मीद है कि ट्रंप के जाने के बाद उनके पत्रों पर सरकार कार्रवाई करेगी। अर्थव्यवस्था के मामले में सरकार आशावादी है और मैं अर्थशास्त्री। देखते हैं आगे सरकार सही है या मेरी चेतावनी।

ट्रंप-मोदी की बातचीत पर होगा निर्णय 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा पर स्वामी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी व ट्रंप के बीच क्या बातचीत होती है, यह देखना होगा। साफ किया कि प्रवासी भारतियों में यह समझदारी है कि वह डेमोक्रेट को वोट देते हैं या रिपब्लिक को।

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