एनसीईआरटी किताबें अनिवार्य किए जाने के मामले में सुनवाई तीन को
हाई कोर्ट ने स्कूलों में पहली से 12वीं तक की कक्षा में सिर्फ एनसीईआरटी की ही किताबों चलाने के विरुद्ध दायर याचिका में सुनवाई के बाद अगली तिथि तीन अप्रैल नियत की है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के आईसीएससी स्कूलों को छोड़कर अन्य सभी स्कूलों में पहली से 12वीं तक की कक्षा में सिर्फ एनसीईआरटी की ही किताबों चलाने के विरुद्ध दायर याचिका में सुनवाई के बाद अगली तिथि तीन अप्रैल नियत की है। बुधवार को न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें सरकार के निर्णय को चुनौती दी गई है।
दरअसल नॉलेज वल्र्ड माजरा देहरादून ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार द्वारा 23 अगस्त 2017 को एक शाशनादेश जारी किया। जिसमें उत्तराखंड में आईसीएससी स्कूलों को छोड़कर समस्त राजकीय, सहायता प्राप्त , मान्यता प्राप्त अशासकीय और अंग्रेजी माध्यम संचालित विद्यालयों में एनसीईआरटी की ही किताबें चलाने को कहा गया और निजी प्रकाशक की किताबों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया था।
शाशनादेश लागू करने का मुख्य कारण यह भी था कि निजी स्कूलों में निजी प्रकाशक की ही किताबें महंगे दामों पर बेची जाती रही हैं और अभिभावकों पर अतिरिक्त व्ययभार पड़ता है। सरकार का मकसद शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकना है। सरकार ने साफ निर्देश दिए कि यदि किसी स्कूल या दुकान में निजी प्रकाशक की किताबें बेची या लागू की जाती हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए। यदि किसी विषय के लिए निजी प्रकाशक की किताब नितांत जरूरी हैं तो उसका मूल्य एनसीईआरटी की दर पर उपलब्ध कराया जाए।
इन स्कूली में निजी प्रकाशकों की किताबें चलाने को लेकर उन्होंने इस शाशनादेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी । कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को एनसीईआरटी व सीबीएससी को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए थे। याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने एनसीईआरटी की किताबें ही लागू करने पर रोक नहीं लगाई तो आदेश के खिलाफ विशेष अपील दायर की गई।
बुधवार को मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने अगली तिथि तीन अप्रैल नियत कर दी। मुख्य स्थाई अधिवक्ता परेश त्रिपाठी के अनुसार इस मामले में सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया है। प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव एसोशिएशन की ओर से भी एकलपीठ से राहत नहीं मिलने के बाद विशेष अपील दायर की गई है।
यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने शहरी विकास सचिव के खिलाफ जारी किए जमानती वारंट
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका
यह भी पढ़ें: हाई कोर्ट ने निकायों में गांवों को मिलाने के नोटिफिकेशन को किया निरस्त