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    उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने पर हाई कोर्ट में अहम सुनवाई, सरकार को दिया ये आदेश

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Wed, 02 Nov 2022 05:33 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने 13 जनवरी 2018 में भी आदेश पारित करते हुए सरकार को कहा था कि राज्य में चली आ रही 157 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था छह माह में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंपा जाए।

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    अगली सुनवाई के लिए 27 मार्च की तिथि नियत की है।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल : Nainital High Court: हाई कोर्ट ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में सरकार को हर छह माह में प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई के लिए 27 मार्च की तिथि नियत की है।

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    चरणबद्ध तरीके से राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करेगी सरकार

    सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के 2018 के आदेश के अनुपालन में प्रदेश की कैबिनेट की इसी साल 17 अक्टूबर को हुई बैठक में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने का निर्णय ले लिया है। सरकार चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त कर सिविल पुलिस व्यवस्था लागू करने जा रही है। कोर्ट ने सरकार से हर छह माह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।। साथ ही मुख्य सचिव को शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा है कि 2018 के आदेश का अब तक कितना अनुपालन किया गया है।

    हाई कोर्ट ने पहले भी दिया था ये आदेश

    दरअसल, हाई कोर्ट ने 13 जनवरी 2018 में भी आदेश पारित करते हुए सरकार को कहा था कि राज्य में चली आ रही 157 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था छह माह में समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौंपा जाए।

    • छह माह के भीतर राज्य में थानों की संख्या व सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
    • सिविल पुलिस की नियुक्ति के बाद राजस्व पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करेगी और अपराधों की जांच सिविल पुलिस करेगी।
    • राज्य की आबादी एक करोड़ से अधिक व थानों की संख्या 156 है, जो बहुत कम है।
    • 64 हजार लोगों पर एक थाना, लिहाजा थानों की संख्या बढ़ाई जाए।
    • एक सर्किल में दो थाने बनाए जाएं और थाने का संचालन सब इंस्पेक्टर रैंक का पुलिस अधिकारी करेगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था आदेश

    2004 में सुप्रीम कोर्ट ने भी नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार केश में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी थी, जिसमें कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नहीं दी जाती। राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर, डीएनए और रक्त परीक्षण, फॉरेंसिक जांच, फिंगर प्रिंट आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती है। इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती है।

    • कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो, जो नागरिकों को मिलना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया कि अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केस की जांच में इतनी देरी नहीं होती, इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाय। इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन नंबर एक जाखन देहरादून ने भी जनहित याचिका दायर की है।

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