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    बिना सर्वे स्ट्रीट वेंडर्स को हटाए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार व अन्य से मांगा जवाब

    By Jagran NewsEdited By: Skand Shukla
    Updated: Wed, 02 Nov 2022 02:30 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने बिना सर्वे किए स्ट्रीट वेंडर्स को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार व अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई को तीन सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।

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    बिना सर्वे स्ट्रीट वेंडर्स को हटाए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार व अन्य से मांगा जवाब

    नैनीताल, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने बिना सर्वे किए स्ट्रीट वेंडर्स को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार व अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई को तीन सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।

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    बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में नेशनल हॉकर फडरेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में लगभग 10,187 स्ट्रीट वेंडर हैं । सरकार ने स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 का पालन अभी तक नहीं किया है। जिसमें कहा गया है कि स्ट्रीट वेंडर के लिए एक निर्धारत जगह होगी। उसे संबंधित कॉर्पोरेशन या निकाय से लाइसेंस दिया जाएगा।

    उनको हटाने से पूर्व समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी करनी होगी। जिस जगह पर स्ट्रीट वेंडर्स के लिए जगह निर्धारित होगी, वहां पर वह अपने पास लाइसेंस , आधारकार्ड और राशनकार्ड रखेंगे। जिससे इनकी आसानी से पहचान हो सके।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एक निर्णय देकर कहा था कि सभी राज्य अपने वहाँ सभी स्ट्रीट वेंडर का चार माह के भीतर सर्वे कर एक स्ट्रीट टाउन बेंडर कमेटी का गठन करें। जिसमें सम्बन्धित कॉर्पोरेशन,पुलिस प्रसासन, व्यापार मंडल, जानकार लोग होंगे लेकिन अभी तक न तो उत्तराखण्ड में इनका सर्वे हुआ न वेंडर्स जोन घोषित हुआ, न ही कमेटी का गठन हुआ।

    जिसका नतीजा आये दिन इन लोगों का सामना जब्त किया जाता आ रहा है। सामान जब्त करने व उसे तोड़ने का अधिकार इनको नही है जबकि जब्त खाने का सामना एक दिन में और अन्य सामान तीन दिन के भीतर वापस करने का भी प्रावधान है। समान उसी दिन वापस कराया जाय या फिर उनको इसका मुआवजा दिया जाए।