धरातल पर जीरो, बयानबाजी में हीरो : आइएसबीटी पर गंभीर नहीं सरकार
आइएसबीटी का काम रोकने के डेढ़ साल बाद भी शहर के इस बड़े प्रोजेक्ट तस्वीर सरकार साफ नहीं कर सकी। धरातल पर जमीन अधिग्रहण समेत अन्य बिंदुओं पर काम करने की प्रक्रिया का आज तक पता नहीं।
हल्द्वानी, जेएनएन : गौलापार में आइएसबीटी का काम रोकने के डेढ़ साल बाद भी शहर के इस बड़े प्रोजेक्ट तस्वीर सरकार साफ नहीं कर सकी। धरातल पर नई जमीन के अधिग्रहण समेत अन्य बिंदुओं पर काम करने की प्रक्रिया का आज तक पता नहीं। दरअसल, हकीकत यह है कि गौलापार में काम रोकने के बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर सिर्फ जल्द बनेगा और हल्द्वानी में ही बनेगा बस यही बयानबाजी हुई है। इसी वजह अधिकारी भी कुछ कहने से बचते हैं।
पिछली सरकार के दौरान गौलापार में आइएसबीटी की नींव रखी गई थी। शहर के बीचों-बीच बना बस अड्डा जाम की बड़ी वजह बन चुका है। गौलापार में आठ हेक्टेयर जमीन पर करीब 75 करोड़ की लागत से काम पूरा होना था। लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के साथ प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। वहीं अगस्त में परिवहन मंत्री ने दून में बैठक कर तीनपानी को फाइनल तो कर दिया। शासन इस मामले में सक्रिय है। यह जताने के लिए आसपास सड़क चौड़ीकरण के नाम पर आनन-फानन में 22 करोड़ 65 लाख का प्रस्ताव भी तैयार किया गया। चौड़ीकरण प्रस्ताव भेजे हुए भी सात माह का समय हो चुका है। इसमें भी कोई प्रगति नहीं है।
एक नजर आइएसबीटी पर :
:2015 में गौलापार में वनभूमि परिवहन विभाग के हिस्से आई।
:2015-16 के बीच आठ हेक्टेयर जमीन पर खड़े 2625 काटे गए।
:14 अक्टूबर को शिलान्यास हुआ।
:22 अक्टूबर को काम शुरू हुआ।
:मई 2017 में कंकाल मिलने का मुद्दा खूब उछला।
:जून 2017 में जांच का हवाला देकर नई सरकार ने काम रोक दिया।
:वहीं जुलाई में प्रशासन की रिपोर्ट में शमसान भूमि होने की बात सिरे से नकार दी गई।
:सितंबर 2017 में परिवहन सचिव ने हल्द्वानी पहुंच तीन जगहों का निरीक्षण किया।
:फरवरी 2018 में परिवहन निगम के एमडी ब्रजेश संत ने चार जगहों का दौरा किया।
:13 अगस्त को परिवहन मंत्री की बैठक में तीनपानी पर मुहर लगी।
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