गूगल बताएगा, कहां कराएं अपने मवेशी का इलाज, जानें क्या है जियो टैगिंग nainital news
डॉ. डीसी जोशी ने बताया कि हल्द्वानी ब्लॉक के सभी वेटेनरी सेंटर व अस्पतालों की जीओ टैगिंग की जाएगी। इसके लिए हल्द्वानी ब्लॉक के सभी सेंटर्स को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है।
हल्द्वानी, जेएनएन : घर में गाय-भैंस पालकर आजीविका चलाने वाले पशुपालकों को अब मवेशियों के बीमार होने पर भटकना नहीं पड़ेगा। इंटरनेट के इस दौर पर उन्हें सिर्फ गूगल पर एक क्लिक करने से ही पता चल जाएगा कि आसपास कौन सा वेटेनरी (पशुचिकित्सा) सेंटर है। खास बात यह है कि चिकित्सकों के फोन नंबर, उनकी उपस्थिति, स्टाफ और घर से दूरी का पूरा ब्योरा भी इसमें ऑनलाइन मिल जाएगा। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. डीसी जोशी ने बताया कि हल्द्वानी ब्लॉक के सभी वेटेनरी सेंटर व अस्पतालों की जीओ टैगिंग की जाएगी। इसके लिए हल्द्वानी ब्लॉक के सभी सेंटर्स को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है। इसके लिए प्ले स्टोर से इसरो आइआरआइएस एप इंस्टाल करना पड़ेगा, जिसकी मदद से अपने आस-पास के वेटेनरी सेंटर से संबधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इन जगहों के लोगों को होगा फायदा
हल्द्वानी का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण आबादी वाला है, जहां छोटे-बड़े सभी काश्तकार गाय, भैंस व बकरियों का पालन करते हैं। इसमें दमुवाढूंगा, नरसिंहपुर तल्ला, करायल, सागुड़ी गांव, मोटाहल्दू, देवलचौड़, लालकुआं, कुंवरपुर, चोरगलिया, बिंदुखत्ता आदि क्षेत्र के लोगों को इस कवायद से फायदा होगा।
एप के फायदे
एक दिसंबर से हल्द्वानी ब्लॉक के सभी सेंटर्स पर एप की टैंगिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 31 दिसंबर के बाद प्ले स्टोर से इसरो आइआरआइएस एप इंस्टाल किया जा सकेगा। इसकी मदद से पशुपालकों को घर से सेंटर की दूरी, वेटेनरी के सभी स्टाफ की सूची, अस्पताल की सुविधाएं व मोबाइल नंबर की जानकारी मिल सकेगी।
ये है जियो टैग
जियो टैग का अर्थ है कार्य की भौगोलिक स्थिति यानी कौन सा कार्य कितनी ऊंचाई और कितनी दूरी पर है। मुख्य रूप से इससे अक्षांश व देशांतर से उस जगह की लोकेशन जानाी जाती है। इससे गूगल मैप से देखकर उक्त स्थान कहां स्थित है असानी से पता चल जाता है। इसके अलावा अन्य चीजें भी इसके साथ जोड़ी जा सकती हैं। जैसे अब मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों की स्थित व सरकारी योजना से बनने वाले गांवों में शौचालयों की भी जियो टैंगिंग हो रही है। इससे यह भी साफ हो जाता है कि किस कार्य की क्या स्थिति है और कितना धन खर्च हो रहा है। इससे पहले हुए कार्य पर दोबारा फर्जी काम नहीं हो पाएगा।
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