Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुलदार के शावक की खुराक अब बकरी का दूध

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 28 Dec 2019 06:11 AM (IST)

    घने जंगल में मां के साथ शिकार के गुर सीखने वाले गुलदार के शावक का नया घर फिलहाल रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर बन गया है। यहां उसे बकरी के साथ गाय का दूध बतौर पौष्टिक आहार दिया जा रहा है।

    गुलदार के शावक की खुराक अब बकरी का दूध

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : घने जंगल में मां के साथ शिकार के गुर सीखने वाले गुलदार के शावक का नया घर फिलहाल रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर बन चुका है। यहां उसे बकरी के साथ गाय का दूध बतौर पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। इसके अलावा पेटोलेक नामक सप्लीमेंट भी खुराक में शामिल है। बेहद कम उम्र होने की वजह से उसे आसानी से पचने वाली खाद्य सामग्री दी जा रही है। जू के चिकित्सक डॉ. हिमांशु पांगती के मुताबिक, करीब चार माह तक उसे यही भोजन दिया जाएगा। जंगल में होने पर भी इस अवधि तक वह मां के दूध पर ही निर्भर रहता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बुधवार को कठघरिया के खेमपुर गांव में गन्ने के खेत में गुलदार के शावक को देख लोगों ने वन विभाग की टीम को मौके पर बुला लिया था। गन्ने के बीच में मिली डेढ़ माह की मादा शावक को तुरंत रेस्क्यू सेंटर लाया गया। आसपास शावक की मां की सक्रियता की सूचना मिलने पर वनकर्मियों की टीम रात में ही गश्त को पहुंच गई थी, मगर वह नहीं मिली थी। इसके बाद गुरुवार रात भी शावक को उसी जगह लाया गया। एक घंटे तक यह प्रयास किया गया कि मां से बिछुड़े बच्चे को फिर मिला दिया जाए। लेकिन मादा गुलदार जंगल से खेतों की तरफ नहीं लौटी। इस वजह से रेस्क्यू सेंटर में ही शावक की देखरेख की जा रही है। सोना भी ऐसे मिली थी

    कम उम्र के शावक के मिलने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व दो माह की मादा गुलदार भी मिल चुकी है। सोना नाम की यह गुलदार अब सवा साल की हो चुकी है। इसे नैनीताल जू में रखा गया है। बाकि बच्चे मां के साथ

    ग्रामीणों व वन विभाग के मुताबिक, खेतों के आसपास और भी शावकों के निशान मिले हैं। संभावना है कि दो से तीन बच्चे मादा गुलदार के साथ में है। इस वजह से वो थोड़ी कम आक्रामक है। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह इकलौता शावक होता तो गुलदार का आतंक ज्यादा रहता। हालांकि बच्चे की तलाश में अब भी उसके वापस लौटने की पूरी संभावना है। फिर गांव पहुंची टीम

    वन विभाग मामले को लेकर फिर से गंभीरता बरत रहा है। शुक्रवार दोपहर रेंजर सावित्री गिरी टीम को लेकर फिर गांव पहुंचीं। आसपास गश्त करने के साथ ही ग्रामीणों से वार्ता भी की। टीम लगातार गांव में नजर बनाए हुए हैं। खेत से मिले शावक को रेस्क्यू सेंटर में बेहद सावधानी से रखा गया है। उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। फिलहाल खुराक के तौर पर बकरी व गाय का दूध दिया जा रहा है।

    -डॉ. हिमांशु पांगती, चिकित्सक नैनीताल जू