Uttarakhand News: सात किमी दायरे में होगा अध्ययन, कैसे रूख बदल रही गौला नदी
हल्द्वानी की जीवन रेखा गौला नदी का रुख बदल रहा है। सिंचाई विभाग सात किमी क्षेत्र में अध्ययन करेगा ताकि नदी के मार्ग परिवर्तन के कारणों का पता चल सके। पिछले कुछ वर्षों में नदी ने रेलवे ट्रैक और पुलों सहित कई सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है। अध्ययन से भविष्य में होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। कुमाऊं के प्रवेशद्वार हल्द्वानी के लोगों की प्यास बुझाने, खेतों को सींचने और खनन कारोबार के माध्यम से लोगों के रोजगार पैदा करने वाली गौला नदी का रूख पिछले कुछ सालों में बदल गया है।
मानसून सीजन में रेलवे ट्रैक, गौला पुल, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम से लेकर लोनिवि की सड़क तक के लिए बहाव संकट खड़ा कर चुका है। अब सिंचाई गाैला नदी में सात किमी दायरे में अध्ययन कराने जा रहा है। ताकि पता चल सके कि नदी का रूख बदलने की वजह क्या है।
किन उपायों से भविष्य में आबादी से लेकर सरकरी संपति को बचाया जा सकते हैं। निजी कंपनी के अलावा नदियों से जुड़े किसी सरकार संस्थान को यह जिम्मा मिल सकता है।
गौला नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह पर्वतीय क्षेत्र में ज्यादा बरसात का होना है। काठगोदाम स्थित बैराज में जलस्तर के खतरे को निशान को पार करने पर गेट खोल पानी को नदी में छोड़ दिया जाता है। लेकिन पिछले पांच साल में नदी के बहाव ने खतरे की स्थिति पैदा कर दी। जिससे सरकारी संपतियों को नुकसान भी हुआ।
अक्टूबर 2021 में रेलवे ट्रैक के अलावा गौला पुल को नुकसान हुआ। 2024 में पुल की एप्रोच रोड ध्वस्त हुई। इसके अलावा लोनिवि की 100 मीटर सड़क का आधा हिस्सा नदी में समा गया। पिछले साल काठगोदाम में नदी किनारे बने दो घर पानी में बहे तो इस बार दो घर जमींदोज हो गए।
यानी पानी के बहाव के कारण आबादी क्षेत्र से लेकर पुल, स्टेडियम से लेकर रेलवे ट्रैक तक पर संकट के बादल मंडराने लगे। दूसरी तरफ गौलापार की तरफ प्रस्तावित चिड़ियाघर की नदी से जुड़ी वनभूमि का कुछ हिस्सा भी नदी में बह गया।
पिछले पांच साल में खतरे के हालात ज्यादा पैदा हुए। जिस वजह से सिंचाई विभाग ने काठगोदाम बैराज के पास वाले गौला पुल से लेकर नीचे रेलवे क्रासिंग के पास स्थित दूसरे पुल तक के बीच के सात किमी एरिया में गौला की स्थिति संग बहाव को लेकर अध्ययन का निर्णय लेते हुए संस्था के चयन को टेंडर आमंत्रित कर दिया है।
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गौला सीधी नहीं बल्कि घुमावदार
सिंचाई विभाग के ईई दिनेश रावत ने बताया कि अध्ययन के लिए चुने गए हिस्से में गौला सीधी नहीं बल्कि घुमाव भी है। पानी कभी नदी के इस छोर तो कभी उस छोर पर कटाव कर रहा है। बीच के कुछ हिस्सों में मलबा भी जमा है। गौला के बहाव को बीच में रखने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं। अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर ही निर्णय लिया जा सकेगा।
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