UKSSSC New Chairman: चुनौतियों के बीच राह आसान करते रहे गणेश सिंह मर्तोलिया, हासिल कर चुके हैं राष्ट्रपति मेडल
UKSSSC New Chairman लोहरियासाल कठघरिया में रह रहे 63 वर्षीय मर्तोलिया ने बीएससी एमए करने के बाद 1984 में स्टेट पुलिस सर्विस ज्वाइन की। वर्ष 1998 में आइपीएस बने। वह मूल रूप से सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़ के दूरस्थ गांव मर्तोलीके निवासी हैं।

गणेश जोशी, हल्द्वानी : UKSSSC New Chairman : सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़ के दूरस्थ गांव मर्तोली के गणेश सिंह मर्तोलिया (IPS Ganesh Singh Martolia) ने तमाम चुनौतियों का सामना कर सफलता हासिल की है। चाहे भीड़ नियंत्रण हो या फिर आपदा, सुरक्षा प्रबंधन। हर मोर्चे पर परचम लहराया है। 2019 में सेवानिवृत होने के बावजूद आइपीएस मर्तोलिया सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय रहे।
अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष भी
यही कारण रहा है कि सरकार ने पहले उन्हें अनुसूचित जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया और अब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी सौंप दी है। लोहरियासाल कठघरिया में रह रहे 63 वर्षीय मर्तोलिया ने बीएससी, एमए करने के बाद 1984 में स्टेट पुलिस सर्विस ज्वाइन की। वर्ष 1998 में आइपीएस बने।
इन पदों पर रह चुके हैं
35 वर्षों की पुलिस सेवा में मर्तोलिया नौ जिलों में एसपी, दो बार पीएसी के कमांडेंट, पांच जिलों में एसएसपी, दो रेंज के डीआइजी और फिर आइजी बने। वर्ष 2019 में इसी पद से सेवानिवृत हुए।
हासिल कर चुके हैं ये पुरस्कार
पुलिस सेवा के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें वर्ष 1999 में राष्ट्रपति का पुलिस मेडल, 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान बेहतरीन सेवा के लिए मुख्यमंत्री मेडल भी मिल चुका है।
पूरी तरह पारदर्शिता से होगा काम
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष गणेश सिंह मर्तोलिया ने जागरण से बातचीत में कहा कि नियुक्तियों में पूरी तरह पारदर्शिता से काम होगा। वह ज्वाइन करने के बाद आगे रणनीति तय करेंगे। संभवत वह 14 अक्टूबर तक ज्वाइन करेंगे।
आयोग पर लगे दाग धोना बड़ी चुनौती
यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष बनाए गए गणेश सिंह मर्तोलिया की राह आसान नहीं है। तमाम चुनौतियां हैं। जिस तरीके से आयेाग के उच्चाधिकारियों पर नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। आयोग के तमाम अधिकारियों के साथ ही पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत की गिरफ्तारी तक हो चुकी है। साथ ही इनसे अधिकांश परीक्षाओं की जिम्मेदारी छीन ली गई है और आयोग को शक की निगाह से देखा जाने लगा है। ऐसे में नवनियुक्त अध्यक्ष के सामने आयोग की छवि को फिर से बेहतर करने की बड़ी चुनौती है।
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