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    उत्‍तराखंड में कंकणाकृति में दिखेगा रविवार का सूर्यग्रहण, जानिए कितने बजे शुरू होगा सूतक काल

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 20 Jun 2020 10:36 AM (IST)

    साल का पहला सूर्यग्रहण रविवार 21 जून को होने जा रहा है। हल्द्वानी समेत शेष कुमाऊं में ग्रहण की अवधि तीन घंटे 32 मिनट रहेगी। यह पूरे उत्‍तराखंड में दिख ...और पढ़ें

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    उत्‍तराखंड में कंकणाकृति में दिखेगा रविवार का सूर्यग्रहण, जानिए कितने बजे शुरू होगा सूतक काल

    हल्द्वानी, जेएनएन : साल का पहला सूर्यग्रहण रविवार 21 जून को होने जा रहा है। हल्द्वानी समेत शेष कुमाऊं में ग्रहण की अवधि तीन घंटे 32 मिनट रहेगी। ग्रहण उस दिन आ रहा जब किरणें सीधी कर्क रेखा पर पड़ेंगी। ज्योतिषाचार्य डाॅ भुवन चंद्र त्रिपाठी, डाॅ नवीन चंद्र जोशी, डाॅ नवीन चंद्र बेलवाल, डाॅ जगदीश चंद्र भट्ट, डाॅ मनोज पांडे आदि ने ज्योतिषियों गणना के बाद सूर्य ग्रहण का समय जारी किया है। ज्यातिषियों के मुताबिक ग्रहण का स्पर्श रविवार सुबह 10.24 बजे, मध्य 12.05 बजे और मोक्ष दोपहर 1.56 बजे होगा। पंडित डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार आषाढ़ी अमावस्या, रविवार, मृगशिरा आर्द्रा नक्षत्र, गंड वृद्धि योग में घटित होने वाला सूर्यग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। उत्‍तराखंड, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ स्थानों पर ग्रहण की कंकणा कृति दिखाई देगी। शेष भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा।

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    ग्रहण का सूतक शनिवार रात 10.24 बजे से लगेगा

    सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले यानी शनिवार रात्रि 10.24 बजे से लग जाएगा। सूतक काल में सभी मंदिरों के पट बंद रहेंगे। पंडितों के अनुसार ग्रहण के सूतक से पहले जल व खाद्य सामग्री में तुलसी दल व कुशा रख देना चाहिए।

    ग्रहण की यह रहेगी स्थिति

    स्पर्श : सुबह 9.16 बजे

    मध्य : 12.05  बजे

    मोक्ष : दोपहर 1.56 बजे

    स्नान और दान का फल कई गुना

    पंडित मनोज पांडे के अनुसार धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि रविवार को सूर्य और सोमवार को चंद्रग्रहण होने से चूड़ामणि का दुर्लभ संयोग बनता है। इस दिन स्नान, ध्यान, जप, पूजा पाठ व दान का कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। यह ग्रहण धार्मिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण होगा। ग्रहण स्पर्श के समय स्नान व मंत्र जाप, मध्य में हवन-पूजन व मोक्ष के समय स्नान व दान का विशेष महत्व है। ग्रहण काल मंत्र सिद्धि का सर्वश्रेष्ठ काल माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में जल गंगाजल और सभी तरह का दान स्वर्ण के समान होता है। ग्रहण काल में इष्टदेव व मृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ बताया गया है।

    राशियों पर ग्रहण का प्रभाव

    शुभ : मेष, सिंह, कन्या, मकर

    ठीक नहीं : मिथुन, कर्क, वृश्चिक, मीन

    मिश्रित : वृषभ, तुला, धनु और कुंभ

    सीमाओं पर तनाव बढ़ा सकता है ग्रहण

    ज्योतिषियों के मुताबिक ग्रहण देश की सीमाओं पर तनाव को बढ़ा सकता है। हालांकि इसे देश के लिहाज से विजय कारक माना जा रहा है। अंक शास्त्र के अध्ययनकर्ता अशोक वार्ष्‍णेय के अनुसार मिथुन राशि में राहु की मौजूदगी सूर्य, चंद्रमा व बुध ग्रहों को पीड़ित कर रही है। मंगल मीन राशि में विराजमान हो कर मिथुन राशि के ग्रहों पर नजर डाल रहा है। बुध, गुरु, शुक्र, शनि वक्री हैं। राहु व केतु सदैव वक्री रहते हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति सूर्यग्रहण को विशेष बना रही है। ऐसा जान पड़ता है कि इस ग्रहण का प्रभाव चीन, अमेरिका पर अधिक पड़ेगा, क्योंकि वर्तमान में दोनों देशों पर शनि की साढ़े साती चल रही है।

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