महिला लोनिवि कर्मी को तीन माह जेल व छह लाख अर्थदंड की सजा, पिता की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित में हुई थी नियुक्ति
नैनीताल में महिला लोनिवि कर्मी को तीन माह की जेल और छह लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। यह मामला मृतक आश्रित में हुई नियुक्ति से जुड़ा है। कोर् ...और पढ़ें

भाई को तय समझौते के अनुसार मिली धनराशि का चेक हुआ था बाउंस। जागरण
जागरण संवाददाता, नैनीताल। न्यायिक मजिस्ट्रेट व सिविल जज जूनियर डिवीजन उर्वशी रावत की कोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में आरोपित महिला लोनिवि कर्मचारी को एनआइ एक्ट में दोषी करार देते हुए तीन माह साधारण कारावास तथा छह लाख 20 हजार अर्थदंड से दंडित किया है। इसमें से छह लाख प्रतिवादी को नियमानुसार अदा करने व शेष राजकोष में जमा करने के आदेश पारित किए हैं। अर्थदंड अदा नहीं करने पर एक माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
दरअसल भीमताल रोड मल्ली सलड़ी निवासी अजय बिष्ट की ओर से कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया था। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी अजय तथा लोनिवि प्रांतीय खंड बागेश्वर के गेस्ट हाउस में कार्यरत ममता बिष्ट पत्नी जय खर्कवाल निवासी कठैतबाड़ा, बागेश्वर, भाई- बहन हैं। आरोपित व परिवादी के लोनिवि में कार्यरत पिता बहादुर बिष्ट के निधन होने के बाद दोनों के मध्य तय हुआ कि भाई अजय को पिता की ओर से विभाग में छोड़ी गई धनराशि जबकि बहन ममता को मृतक आश्रित में नौकरी दी जाएगी, इसके अलावा यह भी तय हुआ कि ममता अपने भाई को नौकरी लगने के 15 साल तक प्रत्येक माह दस हजार रुपये का भुगतान करती रहेगी।
इसके बाद आरोपित को लोनिवि में नौकरी मिल गई। समझौते के अनुसार आरोपित ममता ने आठ अगस्त 2023 को छह लाख का चेक अपने भाई को दिया। जब परिवादी चेक भुगतान के लिए अपने खाते वाले बैंक अल्मोड़ा अर्बन बैंक शाखा भीमताल गया तो बैंक ने खाताधारक स्वयं संपर्क करें की टिप्पणी के साथ चेक वापस कर दिया। इसके बाद नोटिस दिया तो आरोपित ने नोटिस का प्रति उत्तर दिया लेकिन छह लाख की धनराशि का भुगतान नहीं किया।
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कोर्ट में आरोपित ने परिवादी के कथन को झूठा बताते हुए कहा कि उनके व परिवादी के मध्य कुछ भी तय नहीं हुआ था, पिता की छोड़ी धनराशि मां को मिली थी, 2024 तक मायके में मां व भाई के साथ रहती थी।
कोर्ट ने प्रतिवादी व आरोपित के अधिवक्ता की बहस व साक्ष्यों के अवलोकन के बाद कहा कि चेक बाउंस होने सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर आरोपित के सही पते पर नोटिस भेजा लेकिन आरोपित ने 15 दिन के भीतर चेक की धनराशि का भुगतान परिवादी को नहीं किया। प्रतिवादी की ओर से बहस अधिवक्ता प्रमोद तिवारी ने की।

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