क्लीनिक संचालक डॉक्टरों की क्षमता परीक्षा आयोजित करने का मामला हाई कोर्ट पहुंचा
राज्य के प्राइवेट क्लीनिक संचालकों वाले एमबीबीएस डॉक्टरों की क्षमता परीक्षा आयोजित करने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है।
नैनीताल, जेएनएन : राज्य के प्राइवेट क्लीनिक संचालकों वाले एमबीबीएस डॉक्टरों की क्षमता परीक्षा आयोजित करने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य व केंद्र सरकार से 17 जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।
फेडरेशन ऑफ क्लीनिकल सोनोलॉजिस्ट एसोसिएशन के डॉ. एमसी सती व अन्य द्वारा याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पिछले दो-तीन दशक से प्राइवेट क्लीनिक संचालक एमबीबीएस चिकित्सकों की क्षमता परीक्षा आयोजित कर रही है। इसके लिए बकायदा कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया है। परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 20 जनवरी, जबकि परीक्षा 30 जनवरी को होनी है। एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता विनोद तिवारी ने कोर्ट में बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट-1996 की धारा-34 का संशोधन 2014 में किया गया है, लेकिन इस संशोधन को अब तक संसद की मंजूरी नहीं मिली है। इसलिए यह रूल्स लागू नहीं हो सकते। हाल ही में भारत सरकार द्वारा संशोधन के लिए पब्लिक से भी सुझाव मांगे हैं। राज्य सरकार एमबीबीएस डॉक्टरों की सीबीइटी क्षमता परीक्षा नहीं ले सकती।
एसोसिएशन की ओर से संशोधित नियमावली-2014 व क्षमता परीक्षा के लिए पिछले साल 27 दिसंबर को जारी विज्ञप्ति को चुनौती दी गई है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र व राज्य सरकार को 17 जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं के अनुसार वह एक्ट बनने से पहले छह से एक साल का प्रशिक्षण ले चुके हैं, अब नए सिरे से प्रशिक्षण लेना व्यावहारिक दृष्टिïकोण से भी सही नहीं है। यहां बता दें कि राज्य में करीब पांच हजार से अधिक सोनोग्राफी क्लीनिक हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि इसी मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर हुई है, जिसमें सुनवाई 24 जनवरी नियत की गई है।
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