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मिर्गी से बचना है तो बीच में न छोड़ें दवाइयां, जानिए क्‍या है इसका कारण और संपूर्ण इलाज

जन्म से लेकर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र के व्यक्ति को मिर्गी रोग चपेट में ले रहा है। अक्सर मरीज कुछ सही होने के बाद दवाइयों का सेवन करना छोड़ देते हैं। यह घातक हो सकता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 11:07 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 05:29 PM (IST)
मिर्गी से बचना है तो बीच में न छोड़ें दवाइयां, जानिए क्‍या है इसका कारण और संपूर्ण इलाज
मिर्गी से बचना है तो बीच में न छोड़ें दवाइयां, जानिए क्‍या है इसका कारण और संपूर्ण इलाज

हल्द्वानी, जेएनएन : जन्म से लेकर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र के व्यक्ति को मिर्गी रोग चपेट में ले रहा है। अक्सर मरीज कुछ सही होने के बाद दवाइयों का सेवन करना छोड़ देते हैं। यह घातक हो सकता है। कम से कम तीन से पांच साल तक दवाइयां लेनी चाहिए। पक्के और संपूर्ण इलाज से ही मिर्गी जैसे रोग पर काबू पाया जा सकता है। दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में सेंट्रल अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. पुनीत गोयल ने रविवार को फोन पर कुमाऊंभर के लोगों को इसी तरह परामर्श दिया। उनका कहना है कि स्वच्छता बेहद जरूरी है। हर रोग स्वच्छता न होने से फैलता है। बोले, मिर्गी आनुवांशिक भी हो सकती है। यह रोग खासतौर पर आजकल के  युवाओं को तेजी से जकड़ रहा है। मिर्गी के दौरे पडऩे पर लापरवाही न की जाए और तुरंत चिकित्सक को दिखाकर संपूर्ण इलाज कराया जाए। अन्यथा परिणाम घातक हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि मिथकों पर नहीं, बल्कि मेडिकल साइंस पर भरोसा रखें। 

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क्या है मिर्गी
मिर्गी एक  ऐसा रोग है जिसमें झटके लगते हैं और व्यक्ति मूर्छित हो जाता है। दौरे को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों को निर्धारित किया जाता है। जब दवाइयों से भी यह नियंत्रित नहीं होता तो अंतिम जरिया एपीलैप्सी सर्जरी होता है।

क्या हैं लक्षण

  • मिर्गी के मरीजों के शरीर में जकडऩ होना
  • चेहरे और हाथ-पैरों का तिरछा हो जाना
  • बेहोश हो जाने पर मुंह से झाग निकलना

मिर्गी के प्रकार
मिर्गी दो प्रकार की हो सकती है। आंशिक तथा पूर्ण। आंशिक मिर्गी में मस्तिष्क का एक भाग अधिक प्रभावित होता है। जबकि पूर्ण मिर्गी में मस्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित हो जाते हैं। इसी प्रकार अनेक रोगियों में इसके लक्षण भी भिन्न-भिन्न होते हैं। इसके अलावा विशेष तौर पर एपीलैप्सी सर्जरी ही एकमात्र उपाय रह जाता है।

कैसे करें बचाव

  • खानपान के समय हाथ-पैरों को साफ रखना चाहिए
  • फास्ट फूड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए
  • बाहर का भोजन करने से बचें
  • मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें

क्या हैं मिथक

  • मूर्छित हो जाने पर प्याज, जूता आदि सुंघाना
  • तंत्र-मंत्र समझकर झाड़-फूंक करा लेना

इन्होंने फोन कर लिया परामर्श
गणेश तिवारी बैलपड़ाव, लक्ष्मण सिंह बिंदुखत्ता, अंकित अग्रवाल कुसुमखेड़ा, विकास अग्रवाल जसपुर, प्रकाश जोशी खटीमा, शालू गदरपुर, प्रकाश उप्रेती पिथौरागढ़, मदन चंद्र जोशी रुद्रपुर, राजेंद्र नैनीताल, मीना देवी पिथौरागढ़, मीना पांडेय देवलचौड़, कपिल अरोरा रुद्रपुर, शांति कोली, बाजपुर, उमाशंकर पिथौरागढ़।

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