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    गोरी नदी पर हाईड्रो प्रोजेक्ट की आस, 120 मेगावाट की परियोजना को मिली पर्यावरण से मंजूरी

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 23 Apr 2019 10:18 AM (IST)

    प्रसिद्ध मिलम ग्लेशियर से निकल कर जौलजीवी में काली नदी में विलीन होने वाली गोरी गंगा नदी पर पहली जल विद्युत परियोजना की कवायद तेज हो रही है।

    गोरी नदी पर हाईड्रो प्रोजेक्ट की आस, 120 मेगावाट की परियोजना को मिली पर्यावरण से मंजूरी

    पिथौरागढ़, जेएनएन : प्रसिद्ध मिलम ग्लेशियर से निकल कर जौलजीवी में काली नदी में विलीन होने वाली गोरी गंगा नदी पर पहली जल विद्युत परियोजना की कवायद तेज हो रही है। 120 मेगावाट की परियोजना को पर्यावरण की मंजूरी मिल चुकी है। अब निर्माण की मंजूरी का इंतजार हो रहा है। गोरी गंगा नदी पर इस परियोजना के बनते ही नदी में विद्युत उत्पादन की अन्य परियोजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

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    गोरी गंगा नदी में मुनस्यारी से आगे सरकारी भेल-खसियाबाड़ा 120 मेगावाट जल विद्युत परियोजना का कार्य उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजीवीएन) के जिम्मे है। यूजीवीएन द्वारा इस परियोजना के सर्वे का कार्य चल रहा है। जो लगभग पूरा हो  चुका है। इसी के साथ परियोजना के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति मिल चुकी है। अब परियोजना निर्माण की स्वीकृति की प्रतीक्षा चल रही है। निर्माण की अनुमति मिलते ही गोरी नदी पर जल विद्युत उत्पादन का पहला कदम शुरू होगा।

    एक किमी लंबी बनेगी टनल 

    सरकारी भेल-खसियाबाड़ा हाईड्रो प्रोजेक्ट में एक किमी लंबी टनल बनेगी। यह पहली परियोजना होगी जिसमें मात्र एक किमी लंबी टनल होगी। सरकारी भेल के पास से बनी टनल से पानी  खसियाबाड़ा के निकट तक आएगा। खसियाबाड़ा के निकट पॉवर हाउस बनेगा। यूजीवीएन ने इसकी पूरी सर्वे कर ली है। इस परियोजना में बैराज बनेगा। यूजीवीएन को निर्माण की स्वीकृति की प्रतीक्षा हो रही है।

    स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार 

    गोरी नदी पर बनने वाली सरकारी भेल-खसियाबाड़ा हाईड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण होने पर मुनस्यारी सहित गोरी नदी घाटी में रोजगार के अवसर सृजन होंगे। जौलजीवी से लेकर मुनस्यारी तक क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा। वहीं नदी के जल के अनुपात के हिसाब से बन रही छोटी परियोजना से पर्यावरण को भी नुकसान की संभावना नहीं है ।

    गोरी नदी पर दो अन्य परियोजनाएं भी हैं स्वीकृत 

    गोरी नदी पर खसियाबाड़ा से नीचे की तरफ मदकोट और चामी लुम्ती में एनएचपीसी के दो हाईड्रो प्रोजेक्ट स्वीकृत हैं। मदकोट में 110 और चामी लुम्ती में 55 मेगावाट की परियोजनाएं वर्ष 2012 से स्वीकृत हैं। परियोजना निर्माण के लिए एनएचपीसी स्टाफ तक तैनात है। यदि सरकार से जल्दी निर्माण की स्वीकृति मिले तो गोरी नदी से आने वाले वर्षो में 285 मेगावाट की राष्ट्र को बिजली मिलेगी। 

    विद्युत परियोजना के सर्वेक्षण का कार्य जारी  

    चारू लोहनी , अधिशासी अभियंता, यूजीवीएन ने बताया कि सरकारी भेल-खसियाबाड़ा विद्युत परियोजना के सर्वेक्षण का कार्य जारी है। परियोजना के लिए पर्यावरण से मंजूरी मिल चुकी है। यूजीवीएन परियोजना निर्माण की सारी तैयारी पूरी कर चुका है। निर्माण की स्वीकृति मिलते ही तेजी के साथ कार्य होगा। परियोजना निर्माण शुरू होने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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