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वायरल डायरिया में बच्चों को न दें एंटीबायोटिक, खुद ब खुद हो जाएगी ठीक

ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम के अलावा बच्चों में वायरल डायरिया कॉमन है। अक्सर इस बीमारी को लेकर परिजन परेशान होने लगते हैं। कई बार बच्चों को सीधे एंटीबायोटिक दे दिया जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 07:08 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 07:08 PM (IST)
वायरल डायरिया में बच्चों को न दें एंटीबायोटिक, खुद ब खुद हो जाएगी ठीक
वायरल डायरिया में बच्चों को न दें एंटीबायोटिक, खुद ब खुद हो जाएगी ठीक

हल्द्वानी, जेएनएन : ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम के अलावा बच्चों में वायरल डायरिया कॉमन है। अक्सर इस बीमारी को लेकर परिजन परेशान होने लगते हैं। कई बार बच्चों को सीधे एंटीबायोटिक दे दिया जाता है। जबकि, सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं होती है। कुछ समय बाद बीमारी सामान्य दवाइयों से ठीक हो जाती हैं। बार-बार एंटीबायोटिक के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। यह सलाह डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु रखोलिया ने दी। वह रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में थी। उन्होंने सुधी पाठकों को कुमाऊं भर से लाडले की सुरक्षा के लिए पूछे गए सवालों का जवाब दिया।

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वायरल डायरिया से बचने को अपनाएं ये तरीका

वायरल डायरिया में केवल उल्टी-दस्त की समस्या रहती है। बुखार तेज नहीं रहता है। मल में भी खून व आंव की समस्या नहीं रहती है। इसके बचाव के लिए बच्चों को ओआरएस घोल, शिकंजी व नारियल पानी पिलाएं। दो सप्ताह तक जिंक का सेवन दें। बीमारी के समय बाहर का दूध न दें।

दमा में नियमित लें इनहेलर थेरेपी

डॉ. रखोलिया बताती हैं, बच्चों में दमा के कई कारण हो सकते हैं। अगर बीमारी जेनेटिक नहीं है तो नियमित इनहेलर के सेवन के बाद बीमारी ठीक होने लगती है। अधिकांश बच्चे कुछ वर्षों के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों में रात व सुबह के समय अधिक खांसी होने लगती है और खेलने व दौडऩे के समय सांस फूलने लगती है। ऐसे बच्चों की समय पर जांच कराने के बाद उपचार शुरू कर देना चाहिए। इनहेलर थेरेपी से घबराने की जरूरत नहीं है।

सीजनल फ्लू से बच्चों को बचाएं

मौसम के बदलाव के समय सीजनल फ्लू यानी सर्दी-जुकाम, बुखार की समस्या आम है। यह समस्या कुछ दिन में बिना इलाज के भी ठीक हो जाती है। ऐसे में थोड़े सावधानी बरतने की जरूरत होती है। हां, अगर इस बीमारी के साथ सांस तेज फूलने लगे और लगातार खांसी होते रहे, तो बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

इन बातों का रखें खास ध्यान

बार-बार हल्का भोजन करें

तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें

बच्चों को ठंडी हवा में न जानें दें

धूप में ही खेलने के लिए भेजें

इन लोगों ने लिया परामर्श

रुद्रपुर से जेपी टम्टा, कमला सिंह, कमोला से खीम सिंह बिष्ट, काशीपुर से राकेश चौधरी, हल्द्वानी से सरोज कुमार, तन्वी गोस्वामी, सुरभि जोशी, पिथौरागढ़ से सुनीता उपाध्याय, चम्पावत से दिनेश सिंह, कालाढूंगी से बबीता, बाजपुर से सनप्रीत, खटीमा से डीके जोशी, गोविंद आर्य, गदरपुर से ललिता आदि ने फोन कर परामर्श लिया।

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