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    शिक्षा बोर्डों के साथ भेदभाव संविधान का उल्लंघन: हाई कोर्ट

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 09 Jan 2017 05:02 AM (IST)

    राज्य के डिग्री कॉलेजों में अब शिक्षा बोर्डों के आधार पर स्थानीय अभ्यर्थियों को दाखिले में वेटेज को हाई कोर्ट ने शिक्षा बोर्डों के साथ भेदभाव को संविधान काा उल्लंघन करार दिया है।

    नैनीताल, [जेएनएन]: राज्य के डिग्री कॉलेजों में अब शिक्षा बोर्डों के आधार पर स्थानीय अभ्यर्थियों को दाखिले में वेटेज नहीं मिल सकता। हाई कोर्ट ने शिक्षा बोर्डों के साथ भेदभाव को संविधान के अनुच्छेद-14 व 15 का उल्लंघन करार दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार महाविद्यालयों में स्थानीय छात्रों को दस फीसद वेटेज नहीं दे सकती।

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    साथ ही राजकीय महाविद्यालय डोईवाला, देहरादून के प्राचार्य को स्नातक कक्षाओं में उत्तराखंड बोर्ड से उत्तीर्ण छात्रों की तरह ही सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड से उत्तीर्ण छात्रों को भी प्रवेश देने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि उत्तराखंड बोर्ड की तरह इन बोर्डों के छात्रों को प्रवेश में दस फीसद वेटेज दिया जाए।

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    देहरादून के अतुल राणा व अन्य ने स्पेशल अपील दायर कर कहा था कि उन्होंने डोईवाला डिग्री कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। उन्होंने सीबीएसई बोर्ड से 12वीं पास किया था, मगर कॉलेज ने इस आधार पर प्रवेश नहीं दिया कि उत्तराखंड बोर्ड के कम मेरिट वालों को प्रवेश दिया जाना है।

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    इस आदेश को याचिका दायर कर चुनौती दी तो एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद स्पेशल अपील दायर की गई। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया।

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