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सर्द मौसम के बीच गर्म तासीर वाली पहाड़ी दालों की डिमांड बढ़ी

सर्द मौसम के बीच गर्म तासीर वाली पहाड़ी दालों की डिमांड बढ़ गई है। मंगलपड़ाव बाजार में प्रति सप्ताह तकरीबन दस क्ंिवटल गहत, राजमा, लाल लोबिया की खपत हो रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 05:20 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 05:20 PM (IST)
सर्द मौसम के बीच गर्म तासीर वाली पहाड़ी दालों की डिमांड बढ़ी

हल्द्वानी, जेएनएन : सर्द मौसम के बीच गर्म तासीर वाली पहाड़ी दालों की डिमांड बढ़ गई है। मंगलपड़ाव बाजार में प्रति सप्ताह तकरीबन दस क्ंिवटल गहत, राजमा, लाल लोबिया की खपत हो रही है। जबकि प्रतिदिन फुटकर में 50 से 70 किलो दाल बिक रही है। इसके अलावा मडुवे के आटे की मांग में इजाफा हुआ है। जनवरी प्रथम सप्ताह में पहाड़ी दालों की मांग बढऩे से अरहर, मल्का, मसूर जैसी दालों की मांगों में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है।

मुंह मांगे दाम पर भी नहीं मिल रही मुनस्यारी की राजमा

व्यापारियों की माने तो सबसे ज्यादा डिमांड राजमा की है। सामान्य लाल छिलके वाली राजमा 70 से 90 रुपये प्रतिकिलो के भाव से बिक रही है। जबकि मुनस्यारी की राजमा की कीमत 160 रुपये किलो तक पहुंच गई है। पिछले साल मुनस्यारी की राजमा की कीमत 120 रुपये किलो थी। इस बार ग्राहक मुनस्यारी की राजमा ज्यादा मांग रहे हैं, लेकिन बाजार में ज्यादातर दाल विक्रेताओं के पास यह उपलब्ध नहीं है। जबकि ग्राहक 200 रुपये किलो के भाव से भी मुनस्यारी राजमा दाल खरीदने को तैयार हैं।

13 प्रतिशत भाग में सिंचाई सुविधा, फिर भी पहाड़ के किसान उगा रहे सोना

गढ़वाल-कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में केवल 13 प्रतिशत भाग में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। शेष 87 प्रतिशत भाग असिंचित है, लेकिन विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों के किसान परंपरागत फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। जैविक और पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के कारण मैदानी क्षेत्रों के बाजारों में भी गहत, राजमा, मडुवा की सीजन में अच्छी मांग है। वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्रों में लगभग 2.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में परंपरागत फसलों का उत्पादन किया जा रहा है।

पहाड़ी दालों का उत्पादन

फसल        क्षेत्रफल          उत्पादन

मडुवा        1,12,881      1,55,723

गहत         14,282         1,09,27

राजमा       6043            7310

नोट : पर्वतीय क्षेत्रों में दालों का क्षेत्रफल हेक्टेयर में, उत्पादन मीट्रिक टन में।

व्‍यापारियों की सुनिए

गहत और राजमा के अलावा लाल लोबिया, काला भट भी खूब बिक रहा है। बाजार में इन दिनों पहाड़ी दालों की डिमांड बढ़ी है।

- मनोज गुप्ता, व्यापारी

पहाड़ों से इस बार दालें अच्छी आई हैं। मार्च तक बाजार में दालों की मांग बनी रहेगी। जिससे किसानों के साथ ही व्यापारियों को भी फायदा होगा।

- अफाक हुसैन, व्यापारी

सर्दियों में पहाड़ी दालें ही ज्यादा चलती हैं। जबकि गर्मियों में डिमांड बहुत कम रहती है। रोजाना खपत होने से पूरा स्टॉक सीजन में ही खत्म हो जाएगा।

- अमित जायसवाल, व्यापारी

मंगलपड़ाव बाजार में अधिकांश दुकानों पर पहाड़ी दालें बिक रही हैं। यह सीजन ही पहाड़ी दालों का है।

- करनदीप सेठी, व्यापारी

औषधीय गुणों से भरपूर हैं ये दालें: डॉ. मेहता

पहाड़ी दालों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होने के कारण सर्दियों के मौसम में इसका सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है। वरिष्ठ आयुर्वेद कायचिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. एनके मेहता के अनुसार जाड़ों में वात और कफ बढ़ जाता है। मोटी दालों का सेवन कफ के असर को कम करता और पित्त की वृद्धि करता है। इससे वात और कफ शांत होता है। पित्त की वृद्धि होने से भोजन को पचाने में मदद मिलती, जिससे पाचन क्षमता बढ़ती है। यही कारण है कि इन दिनों गहत, राजमा व अन्य पहाड़ी मोटी दालें आसानी से हजम हो जाती है। तमाम औषधीय गुणों से भरपूर ये दालें सेहत को दुरुस्त रखती हैं। इन दिनों पहाड़ी दालों का सेवन ज्यादा किया जाना चाहिए।

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