Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड के पहले साइकैड गार्डन में Dinosaur Era की 'हरियाली', दो एकड़ तक है फैला

    Updated: Wed, 21 May 2025 12:18 PM (IST)

    Cycad Garden Haldwani हल्द्वानी में वन अनुसंधान संस्थान ने राज्य का पहला साइकैड गार्डन बनाया है। इसमें डायनासोर युग के 31 साइकैड प्रजातियों को संरक्ष ...और पढ़ें

    Hero Image
    Cycad Garden Haldwani : वन अनुसंधान ने हल्द्वानी में दो एकड़ भूमि पर तैयार किया गार्डन. Social Media

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। पृथ्वी के मेसोजोइक युग यानी डायनासोर के कालखंड से जुड़ी 'हरियाली' को अब लोग हल्द्वानी में भी देख सकेंगे। वन अनुसंधान ने राज्य का पहला साइकैड गार्डन तैयार किया है। जिसमें इस पादप समूह की 31 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खास बात ये है कि इसमें से 17 प्रजाति इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) की ओर से संकटग्रस्त श्रेणी में डाली गई हैं।

    उत्तराखंड वन अनुसंधान के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के अनुसार गार्डन की स्थापना का उद्देश्य साइकैड्स प्रजातियों के संरक्षण, इनके विकास क्रम को समझना और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों पर अध्ययन करना है। इस विषय में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को एक ही जगह पर इनके बारे में जानकारी भी मिल जाएगी।

    यह भी पढ़ें - Dehradun Crime: सहेली ने पहले किशोरी को करवाया नशा, फ‍िर दोस्त को बुलाकर करवाया दुष्कर्म

    वन अनुसंधान की ओर से जैव विविधता के संरक्षण, दुर्लभ और संकटग्रस्त वनस्पतियों को बचाने के साथ ही मृदा परीक्षण के माध्यम से वानिकी से जुड़े शोध अक्सर किए जाते हैं। इसी के तहत रामपुर रोड स्थित वन अनुसंधान मुख्यालय के परिसर से जुड़ी दो एकड़ भूमि पर साइकैड गार्डन विकसित करने की योजना बनाई गई। इससे पूर्व उत्तर भारत में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में ही इस तरह का उद्यान बनाया गया था।

    वहीं, सीसीएफ संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि साइकैड्स पृथ्वी पर सबसे अधिक संकटाग्रस्त पौधों के समूहों में से एक हैं। और ये मेसोज़ोइक युग से मौजूद है। मेसोजोइक युग करीब 252 मिलियन वर्ष पहले शुरू होकर 66 मिलियन वर्ष पूर्व समाप्त हो गया था। उस समय पृथ्वी पर डायनोसर मौजूद होने के कारण इन्हें उस विशालकाय सरीसृप प्रजाति के कालखंड से भी जोड़ा जाता है।

    हल्द्वानी में साइकैड की साइकस एंडमानिका, साइकस बेडोमी, साइकस जेलेनिका, साइकस पेक्टिनाटा और साइकस सिरसनलिस आदि प्रजाति देखने को मिलेगी। चतुर्वेदी के अनुसार सजावट के तौर पर पहचान होने के कारण भी साइकैड्स प्रजातियों को विदोहन और संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस पादप समूह के संरक्षण का फैसला लिया गया।

    यह भी पढ़ें - Uttarakhand में पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म, चीखने लगी बच्ची तो मुंह पर मारा घूंसा; फिर गला दबाकर मारने लगा

    धीमी वृद्धि दर लेकिन लंबे समय तक जीवित

    वन अनुसंधान के अनुसार साइकैड्स से जुड़ी वनस्पति प्रजातियां अन्य के मुकाबले धीमी गति से बढ़ते हैं। लेकिन लंबे समय तक जीवित रहने में सक्षम है। इनकी जड़ों में पाए जाने वाला कोरालाइड साइनो-बैक्टीरिया के साथ सहजीवी संबंध बनाकर वायुमंडल में नाइट्रोजन को स्थिर बनाए रखने में भी सहायक है।

    संजीव चतुर्वेदी, मुख्स वन संरक्षक अनुसंधान। जागरण आर्काइव

    हल्द्वानी में तैयार साइकैड गार्डन साइकैड्स की अलग-अलग प्रजातियों के बारे लोगों को जानकारी देगा। इन प्राचीन प्रजातियों को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना जरूरी था। वनस्पति विज्ञानियों से लेकर शोध से जुड़े विद्यार्थियों के लिए ये जानकारियां अहम है। - संजीव चतुर्वेदी, मुख्स वन संरक्षक अनुसंधान