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    जेल से पहले ही थम्स एंड फेस सॉफ्टेवयर में कैद हो रहा है अपराधियों का चेहरा nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 11 Jan 2020 10:10 AM (IST)

    क्राइम कम करने में थम्स एंड फेस सॉफ्टेवयर पुलिस महकमे का हमसाथी बना है। इसकी मदद से जेल जाने से पहले ही अपराधी के चेहरे से लेकर अन्य जानकारी कम्प्यूटर में कैद हो रही है।

    जेल से पहले ही थम्स एंड फेस सॉफ्टेवयर में कैद हो रहा है अपराधियों का चेहरा nainital news

    काशीपुर, जेएनएन : गुनाह की रफ्तार को कम करने में थम्स एंड फेस सॉफ्टेवयर पुलिस महकमे का हमसाथी बना है। इसकी मदद से जेल जाने से पहले ही अपराधी के चेहरे से लेकर अन्य जानकारी कम्प्यूटर मेें कैद हो रही है। जैसे ही कोई आरोपित इस मशीन पर अपना अंगूठा पंच करता है, उसका पूरा ब्योरा कंप्यूटर पर होता है। खास बात यह है कि यह साफ्टवेयर वादी से फरार हो चुके अपराधी का हुलिया पूछेगा और सॉफ्टवेयर के जरिये उसका हूबहू चेहरा स्क्रीन पर आ जाएगा।

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    7000 अपराधियों का साफ्वेयर में फीड‍किया गया

    थम्स एंड फेस सॉफ्टवेयर 2017 में अस्तित्व में आया था, लेकिन उपेक्षा के चलते यह तरीका फेल हो गया। 2019 के दिसंबर में पुलिस विभाग को प्रशिक्षित कर इस एप को चलाने के लिए कहा गया। इसके साथ ही ऊधमसिंहनगर में जेल जाने से पहले करीब 7000 अपराधियों के अंगूठे की छाप सहित अन्य ब्योरा इस साफ्टवेयर में फीड कर दिया गया। अभी हाल ही में इस एप में एक कड़ी जोड़ी गई, जिसके जरिये पुलिस का काम और भी आसान हो जाएगा। वह है हुलिया। यदि किसी के घर अपराध हुआ है तो पीडि़त पुलिस को उसका हुलिया बताएगा और पुलिस सॉफ्टवेयर के जरिये उस तक पहुंच जाएगी। वहीं उसका पूरा पता कंपयूटर पर फीड होगा तो पुराने आरोपित, जो जमानत पर छूट चुके हैं, को बुलवाकर ऑनलाइन अंगूठा लगवाते ही उसका चेहरा सामने आ जाएगा। इससे खुलासों में आसानी होगी।

    काशीपुर में आई तेजी

    काशीपुर में भी इस एप ने तेजी पकड़ ली है। जनवरी से सभी पुलिस कर्मियों को इस एप के बारे में समझा दिया गया है। काशीपुर के प्रत्येक थाने व चौकी में कम्प्यूटर में यह सॉफ्टवेयर फीड हो चुका है और पुलिस इस सॉफ्टवेयर का बखूबी इस्तेमाल कर रही है।

    शक के आधार पर हो सकती है पकड़

    थानों में पुलिस रिकार्ड होता है, जिसके जरिये पुलिस पहले कागजी कार्रवाई कर उसको ढूंढने में वक्त लगाती थी। अब सॉफ्टवेयर के जरिये यह आसान हो गया है। यदि पुलिस को किसी भी पुराने अपराधी पर शक होता है तो वह उसका ब्योरा सिस्टम से निकाल सकेगी और तुरंत दबिश देकर अपराधी को पकड़ लेगी।

    साफ्टवेयर में दर्ज हो रहा है अपराधियों का चेहरा

    अपर पुलिस अधीक्षक, काशीपुर राजेश भट्ट ने कहा कि इस सॉफ्टवेयर में अब जेल जाने से पहले ही नए और पुराने आरोपितों की डाटा फीडिंग हो रही है। अपराधी का पूरा ब्योरा और खाका खींचने के बाद ही पुलिस उसको जेल भेजेगी ताकि समय पर काम आ सके। अभी हाल ही में इस एप में एक कड़ी जोड़ी गई। जिसके जरिये पुलिस का काम और भी आसान हो जाएगा।

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