Move to Jagran APP

अधिवक्ता की योग्यता का निर्धारण करना कोर्ट का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने साफ किया है कि वादकारी भले ही सरकार हो या आम आदमी, अधिवक्ता किसे रखा जाए, इसमें अदालत भूमिका नहीं अदा कर सकता।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:50 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:50 AM (IST)
अधिवक्ता की योग्यता का निर्धारण करना कोर्ट का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट
अधिवक्ता की योग्यता का निर्धारण करना कोर्ट का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

नैनीताल (जेएनएन) : हाई कोर्ट की खंडपीठ ने साफ किया है कि अधिवक्ता की योग्यता का निर्धारण करना कोर्ट का अधिकार नहीं है। साथ ही यह भी कहा है कि वादकारी भले ही सरकार हो या आम आदमी, अधिवक्ता किसे रखा जाए, इसमें अदालत भूमिका नहीं अदा कर सकता। यह भी कहा कि यदि किसी हलफनामे में कोई गलती है तो वह अधिवक्ता की नहीं है। शपथ पत्र की बातें वादकारी की होनी चाहिए न कि अधिवक्ता की। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इन टिप्पणियों के साथ मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी के खिलाफ एकलपीठ द्वारा पारित पांच आदेशों को निरस्त कर दिया। खंडपीठ के फैसलों से सीएससी को बड़ी राहत मिली है।

prime article banner

दरअसल, हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सर्विस से संबंधित मामले क्रमश: महेश चंद्र शर्मा, गणेश प्रसाद बडोला, शिक्षक त्रिलोक सिंह, रचना टांक व अन्य, अपर शिक्षा निदेशक महावीर बिष्टï से संबंधित मामलों में दिए गए अलग-अलग फैसले में सीएससी परेश त्रिपाठी की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर टिप्पणियां की थीं। एकलपीठ ने कहा था कि सीएससी जानबूझकर अदालत में नहीं आते। राज्य के पक्ष में काम नहीं कर रहे हैं। सीएससी के कर्तव्यों का सही निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

एकलपीठ ने प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय को निर्देश दिए थे कि वह सीएससी को हटाकर योग्य अधिवक्ता की नियुक्ति करें। शपथ पत्र में कमियां पाते हुए कहा था कि शपथ पत्र नियमानुसार नहीं है। जिस अधिवक्ता द्वारा तैयार किया गया, उसने इसमें कोताही बरती। एकलपीठ के आदेशों के खिलाफ सीएससी परेश त्रिपाठी ने अलग-अलग विशेष अपील दायर की। पिछले दिनों वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा द्वारा मामलों में सुनवाई कर आदेश पारित किया गया, जो मंगलवार को जारी हुआ। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि राज्य सरकार को सीएससी की कार्यप्रणाली, निष्ठा एवं ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं है। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेशों को निरस्त कर दिया।

यह भी पढ़ें : पाल राजाओं के शासनकाल का ऐेतिहासिक धरोहर है जौलजीवी मेला

यह भी पढ़ें : हार्इकोर्ट का बड़ा आदेश, एक साल के भीतर उपनल कर्मियों को नियमित करे सरकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.