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मुआवजा न देने पर यहां के डीएम का खाता सीज, जानिए कैसे मिली पीडि़त को न्‍यायिक जीत

चम्पावत जिला जज की सरकारी गाड़ी से ऊधमसिंह नगर के 15 साल पहले जख्मी हुए बच्चे को आदेश के बाद भी मुआवजा न देने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने डीएम चंपावत का अकाउंट सीज किया।

By Edited By: Published: Sun, 28 Apr 2019 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 09:53 AM (IST)
मुआवजा न देने पर यहां के डीएम का खाता सीज, जानिए कैसे मिली पीडि़त को न्‍यायिक जीत
मुआवजा न देने पर यहां के डीएम का खाता सीज, जानिए कैसे मिली पीडि़त को न्‍यायिक जीत

नैनीताल, किशोर जोशी : चम्पावत जिला जज की सरकारी गाड़ी से ऊधमसिंह नगर के 15 साल पहले जख्मी हुए बच्चे को आदेश के बाद भी मुआवजा न देने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने डीएम चंपावत का अकाउंट सीज कर दिया है। बच्चे की ओर से मुआवजे के लिए कोर्ट में केस किया गया था। हाई कोर्ट ने भी मुआवजा देने पर मुहर लगा दी थी, फिर भी चम्पावत जिला प्रशासन ने जिला जज के रिमाइंडर के बाद भी चार लाख 51 हजार मुआवजे का भुगतान नहीं किया, जिसके बाद नैनीताल जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने सख्त आदेश पारित करते हुए चंपावत जिलाधिकारी का पर्सनल लेजर एकाउंट सीज कर दिया है। साथ ही तीन मई को उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। यह पहला मौका है जब कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर डीएम का खाता सीज कर दिया है।
24 फरवरी 2004 को ऊधमसिंह नगर जिले में खटीमा के समीपवर्ती कस्बे चकरपुर निवासी कक्षा तीन का बच्चा राहुल चंद पुत्र सुरेश चंद बिना नंबर की चम्पावत जिला जज की सरकारी गाड़ी की चपेट में आकर गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। बच्चे को मुआवजे के लिए चम्पावत जिला कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। जांच में पता चला कि सरकारी गाड़ी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के नाम थी। 2007 में मामला ऊधमसिंह नगर के अपर जिला जज की कोर्ट में पहुंचा तो मुआवजा प्रार्थना पत्र खारिज हो गया। इसके बाद निचली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। मामला फिर से एडीजे कोर्ट ऊधमसिंह नगर ट्रांसफर कर दिया गया तो वादी ने मुकदमे को नैनीताल कोर्ट ट्रांसफर करने की अर्जी दाखिल की। 2012 में न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की एकलपीठ ने मुकदमे के ट्रांसफर की अर्जी मंजूर कर ली। हाई कोर्ट ने आदेश के क्रियान्वयन के लिए डीएम चम्पावत को जवाबदेह बना दिया। पिछले साल 28 फरवरी को तत्कालीन जिला जज व मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल की चेयरमैन कुमकुम रानी ने 60 दिन के भीतर छह प्रतिशत साधारण ब्याज की दर निर्णय की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक याची को चार लाख 51 हजार रुपये भुगतान करने के आदेश दिए, मगर फिर भी भुगतान नहीं मिलने पर याची के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र दाखिल किया।
मामले में शनिवार को एमएसीटी व जिला जज नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने याची के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की। याची के अधिवक्ता डीएस मनराल ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित एक दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी न्याय नहीं मिला। साथ ही अदालत के आदेश के बाद तथा रिमाइंडर के बाद भी डीएम चम्पावत ने मुआवजे का भुगतान नहीं किया। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए डीएम का पीएलए एकाउंट सीज करने व तीन मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश पारित किया।

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न्‍याय की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्‍ता ने क्‍या कहा 
डीएस मनराल, अधिवक्ता याची ने कहा कि हादसा जब हुआ था, तब राहुल नौ साल का था, जबकि अब वह बालिग हो गया है। राहुल को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत होगी तो जाऊंगा। 
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