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राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व जिपं अध्यक्ष के बीच अध्यक्षता करने को लेकर कहासुनी

काठगोदाम सर्किट हाउस में गुरुवार को खाद्यान्न का स्तर सुधारने बाबत बुलाई गई जिला स्तरीय सतर्कता समिति की बैठक में कुर्सी मुख्य मुद्दा बन गई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 09:41 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 10:30 AM (IST)
राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व जिपं अध्यक्ष के बीच अध्यक्षता करने को लेकर कहासुनी
राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व जिपं अध्यक्ष के बीच अध्यक्षता करने को लेकर कहासुनी

हल्द्वानी, जेएनएन : काठगोदाम सर्किट हाउस में गुरुवार को खाद्यान्न का स्तर सुधारने बाबत बुलाई गई जिला स्तरीय सतर्कता समिति की बैठक में कुर्सी मुख्य मुद्दा बन गई। बैठक समाप्ति से ठीक पहले पहुंचे राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह रावत ने मुख्य कुर्सी पर जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया को देखा तो अधिकारियों पर सख्त नाराज हो गए। यही नहीं, अनुमति के बगैर बैठक शुरू करने पर उन्होंने एतराज भी जता दिया। इससे नाराज समिति के कुछ सदस्य व जिपं अध्यक्ष ने मीटिंग से ही किनारा कर लिया।

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जिला पूर्ति विभाग (डीएसओ) की ओर से गुरुवार को सर्किट हाउस में जिला स्तरीय सतर्कता समिति की बैठक बुलाई गई। अपराह्न एक बजे से शुरू हुई बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत सदस्य बेला तोलिया ने की। बैठक खत्म होने के दौरान करीब पौने तीन बजे उत्तराखंड राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह रावत वहां पहुंचे, जो बैठक में मौजूद अफसरों पर सख्त नाराज हो गए। बगैर अनुमति बैठक शुरू कराने को उन्होंने सरासर गलत करार दिया। आयोग के अध्यक्ष रावत ने अफसरों से कहा कि राज्य की टॉप अथॉरिटी होने के नाते उनका हक बैठक की मुख्य कुर्सी पर बनता है। इस बीच समिति के कुछ सदस्यों ने आयोग के अध्यक्ष की बातों व उनके व्यवहार पर आपत्ति जताई। इसके बाद जिपं अध्यक्ष बेला तोलिया समेत कुछ अन्य सदस्य बैठक से चले गए।

अथॉरिटी होने के कारण मुझे अध्‍यक्षता करने का अधिकार

भूपेंद्र सिंह रावत, अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य खाद्य आयोग का कहना है कि राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष का हक बनता है कि वह सतर्कता समिति से बैठक में सवाल-जवाब कर सके। राज्य की टॉप अथॉरिटी होने के नाते मुझे बैठक की अध्यक्षता करने का अधिकार है।

क्‍या कहा जिला पंचायत अध्‍यक्ष ने

बेला तोलिया, जिला पंचायत अध्यक्ष ने बताया कि सतर्कता समिति की बैठक में अधिकारी और सदस्य आ चुके थे। मैंने मीटिंग ली। करीब तीन बजे आयोग के अध्यक्ष वहां पहुंचे और अफसरों से बिना अनुमति बैठक शुरू करने का कारण पूछा। इस बीच हम बैठक से चले गए।

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