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    Sanskaarshala: बच्चों ने ली सीख, कहा-दीपू की नासमझी से सबक लेने में ही समझदारी, Internet Media में सब सही नहीं

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Sat, 01 Oct 2022 09:51 AM (IST)

    sanskaarshala संस्कारशाला के तहत प्रकाशित दीपू पर आधारित कहानी शुक्रवार को सिंथिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ी गई। कक्षा नौवीं व 10वीं के बच्चों ने कहानी सुनकर आपसी चर्चा की। प्रधानाचार्य डा. प्रवींद्र कुमार रौतेला ने सलाहकारों के चयन में सावधानी बरतने पर जोर दिया।

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    sanskaarshala : इंटरनेट की किसी भी बात, दावे को सत्य मानने से पहले उसकी पड़ताल जरूरी है।

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Sanskaarshala : बाॅडी बिल्डर बनने का जुनून पाले दीपू ने इंटरनेट मीडिया (Internet media) में प्रसारित जानकारी व दावे को बिना किसी प्रमाणिकता के अपना लिया। किसी खान-पान विशेषज्ञ की सलाह नहीं ली। परिवार को भी नहीं बताया। यूट्यूब पर जो देखा, पूरी तरह सच मानकर जिम जाने के साथ परहेज शुरू कर दिया। शरीर के लिए जो पौष्टिक आहार बहुत जरूरी होता है, उसे नहीं लेने की वजह से दीपू बीमार पड़ गया था।

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    ये भी पढ़ें : इंटरनेट मीडिया सलाहकारों की सत्यता को परखना जरूरी, दावे हमेशा शत प्रतिशत सही नहीं होते 

    सिंथिया में सुनाई गई कहानी

    आशीष भी तो दीपू की देखादेखी बाॅडी बिल्डर बनने की सोचने लगा था। दीपू के साथ जो कुछ हुआ, उससे आशीष ने सबक लिया। आपबीती और परिवारों के बुजुर्गों के समझाने के बाद दोनों की समझ में आया कि इंटरनेट पर सब कुछ सही नहीं होता। किसी भी बात, दावे को सत्य मानने से पहले उसकी पड़ताल जरूरी है। इंटरनेट पर कुछ भी आकर्षक दिखे तो सबसे पहले माता-पिता से उस पर चर्चा करनी चाहिए। संस्कारशाला के तहत प्रकाशित दीपू पर आधारित कहानी शुक्रवार को सिंथिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ी गई। कक्षा नौवीं व 10वीं के बच्चों ने कहानी सुनकर आपसी चर्चा की। प्रधानाचार्य डा. प्रवींद्र कुमार रौतेला ने सलाहकारों के चयन में सावधानी बरतने पर जोर दिया।

    ये भी पढ़ें : बढ़ते आनलाइन बाजार के बीच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर का सही चुनाव करना बहुत आवश्यक 

    दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत प्रकाशित होने वाली कहानी व लेख प्रेरणादायक व संस्कारित करने वाले होते हैं। इनसे बहुत कुछ सीखने, समझने को मिलता है।

    -दिव्यांश वर्मा, छात्र

    दैनिक जागरण संस्कारशाला में प्रकाशित कहानियां रोचकता लिए होने के साथ सामाजिक सीख देने वाली होती हैं। कहानी को हम अपने परिवार व दोस्तों में सुनाते हैं।

    -अनिशा कोरंगा, छात्रा

    बदलते समय के साथ हम लोग संस्कारों को भूलते जा रहे। सामाजिक मूल्यों का पतन हो रहा है। संस्कारों को फिर से पल्लवित करने में संस्कारशाला अच्छा प्रयास है।

    -मंजू जोशी, शिक्षिका

    जिस तरह समाज तेजी से बदल रहा है, ऐसे में संस्कारों की बहुत अधिक जरूरत है। दैनिक जागरण का अभियान समाज को दिशा देने में अभूतपूर्व योगदान देने वाला है।

    -ममता मौलखी, शिक्षिका

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