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    Sanskaarshala : इंटरनेट मीडिया सलाहकारों की सत्यता को परखना जरूरी, दावे हमेशा शत प्रतिशत सही नहीं होते

    By JagranEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 06:45 PM (IST)

    sanskaarshala तीन से चार अलग-अलग इन्फ्लूएंसर को देखना-पढऩा चाहिए। इसके अलावा इंटरनेट इन्फ्लूएंसर के नजरिये के साथ अपने किसी परिचित या विषय विशेषज्ञ के साथ संबंधित विषय पर चर्चा जरूर करें। इससे हमारी सोच समझ का दायरा बढ़ेगा।

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    sanskaarshala : हमें इन्फ्लूएंसर की विश्वसनीयता को परखना होता है।

    हल्द्वानी : sanskaarshala : एक कहावत आम है, सुनो सबकी करो मन की। यानी सभी को ध्यानपूर्वक सुन लेना समझदारी है। इससे हमारे पास विचार, जानकारी और सूचनाओं की बहुतायत में उपलब्धता हो जाएगी। बात जब किसी नतीजे तक पहुंचने की आती है, कोई फैसला लेने की आती है तो हमें अपने आप में गंभीर मंथन के बाद ही आगे बढऩा होता है। ठीक इसी तरह इन्फ्लूएंसर के दावों को भी सत्यता की कसौटी पर परखना होता है। किसी इन्फ्लूएंसर के दावे पर आकर कोई कदम उठाने के बाद कई बार पछताना पड़ता है। समय निकल जाने के बाद पछताने के अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं बचता।

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    इन्फ्लूएंसर कौन

    आपके मन में सवाल होगा कि इन्फ्लूएंसर कौन है। अपनी बातों से प्रभावित करने वाले को इन्फ्लूएंसर कहते हैं। ऐसा व्यक्ति जिसका किसी विशेष वर्ग पर प्रभाव हो। लोग उसकी बातें सुनते हों। वह संबंधित विषय में अच्छी जानकारी रखता हो। इन्फ्लूएंसर जानकारी को लोगों तक पहुंचाने का काम करता है। इसमें उसके फालोवर की संख्या महत्वपूर्ण मायने रखती है। इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर वह होते हैं जो इंटरनेट मीडिया के जरिये किसी उत्पाद के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हैं। लोगों का ध्यान खींचकर उन्हें अपनी बातों से प्रभावित करते हैं।

    मन तैयार करते हैं इन्फ्लूएंसर

    तकनीक के बढ़ते चलन की वजह से आनलाइन व्यापार का चलन तेजी से बढ़ रहा है। किसी वस्तु की जरूरत होती तो लोग सबसे पहले इंटरनेट पर सर्च करते हैं। ऐसे में इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर निकलकर आए। यूट्यूब, फेसबुक, इंटाग्राम, ब्लाग आदि पर रिव्यू देखते-पढ़ते हैं। ये रिव्यू लोगों का मन तैयार करने का काम करते हैं। जाहिर है ये रिव्यू ग्राहक को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। यहीं पर समझना जरूरी हो जाता है कि इंटरनेट मीडिया पर इन्फ्लूएंसर का सही चुनाव किस तरह किया जाए। ऐसी स्थिति में हमें इन्फ्लूएंसर की विश्वसनीयता को परखना होता है। वह कितने समय से काम कर रहा है। जिस विषय पर वह बात कर रहा है, उस पर उनकी समझ कितनी गहरी है। संबंधित विषय पर तथ्यों को कितने भरोसेमंद स्रोत से लिया गया है। आदि विषयों को समझना जरूरी है।

    क्रास चेक करें

    किसी एक व्यक्ति के बजाय तीन से चार अलग-अलग इन्फ्लूएंसर को देखना-पढऩा चाहिए। इसके अलावा इंटरनेट इन्फ्लूएंसर के नजरिये के साथ अपने किसी परिचित या विषय विशेषज्ञ के साथ संबंधित विषय पर चर्चा जरूर करें। इससे हमारी सोच, समझ का दायरा बढ़ेगा। चर्चा से कुछ अनछुए पहलू भी सामने आ सकते हैं, जिन्हें इन्फ्लूएंसर ने अपनी समीक्षा में जानबूझकर छिपाया हो। ऐसी परिचर्चा हमें बेहतर दिशा में जाने व उचित कदम उठाने में मददगार बन सकती है।

    जागरूकता जरूरी

    इंटरनेट ऐसा प्लेटफार्म है जो सच को झूठ और झूठ को सच करने की ताकत रखता है। सच और झूठ के बीच एक पतली दीवार होती है, जिसका प्रयोग कर आडंबर रहित जीवन अपनाया जा सकता है। इंटरनेट ऐसा माध्यम है, जिसके सदुपयोग से मानव विकास की नई गाथा लिखी जा सकती है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इससे कोई अछूता नहीं रहता, लेकिन थोड़ी जागरूकता व बुद्धिमत्ता से इससे बचा जा सकता है।

    सावधानी जरूरी

    किसी भी जानकारी को इकट्ठा करने से पहले या कोई भी सलाह लेने से पहले हमें सही सलाहकार का चयन करना चाहिए। गलत सलाहकार न केवल हमारा समय नष्ट करता है, बल्कि उस विषय पर हमारी नकारात्मक राय भी बन जाती है। भ्रम की स्थिति भी पैदा होती है। इससे कई बार समस्या का समाधान होने की बजाय हम अधिक समस्याग्रस्त हो जाते हैं।

    नोट: जागरण संस्कारशाला के लिए यह लेख डा. नवीन चंद्र जोशी, प्राचार्य श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय हल्द्वानी ने उपलब्ध कराया है।

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