Chamoli Avalanche: हिमस्खलन में फंसे थे हल्द्वानी के इंजीनियर और उसके भाई, ऐसे बची थी जान; सुनाई आपबीती
चमोली जिले के माणा गांव में हुए हिमस्खलन में हल्द्वानी के इंजीनियर नीरज बिष्ट और उनके भाई दीक्षित सिंह बिष्ट भी फंस गए थे। नीरज ने बताया कि वे कंटेनर में सो रहे थे तभी हिमस्खलन हुआ और कंटेनर 60 फीट गहरी नदी में जा गिरा। आर्मी के जवानों ने उनकी जान बचाई। नीरज और उनके भाई को जोशीमठ के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। चमोली जिले के माणा गांव में हुए हिमस्खलन में हल्द्वानी के इंजीनियर नीरज बिष्ट व उनके चचेरे भाई दीक्षित सिंह बिष्ट भी फंस गए थे। नीरज ने फोन पर हुई बात में बताया कि जिस वक्त हिमस्खलन हुआ वह कंटेनर में सवार थे। देखते ही देखते कंटेनर बर्फ की पहाड़ी के संग 60 फीट गहरी नदी में जा गिरा। आर्मी की जवानों ने उनकी व भाई की जान बचाई। नीरज व उनका भाई दीक्षित दोनों आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
शिवशक्ति विहार गली नंबर दो बरेली रोड हल्द्वानी निवासी 36 वर्षीय नीरज बिष्ट पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। एक साल से वह बीआरओ के साथ मिलकर सड़क चौड़ीकरण के काम में लगे हैं। नीरज, रानी कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत हैं। नीरज के साथ उनके चचेरे भाई 22 वर्षीय दीक्षित सिंह बिष्ट पुत्र आन सिंह बिष्ट भी माणा में ही काम करते हैं।
दीक्षित शशबनी धारी मुक्तेश्वर में मैकेनिक के पद पर कार्यरत हैं। जोशीमठ के आर्मी हास्पिटल में भर्ती नीरज ने बताया कि माणा में मौसम गुरुवार से ही खराब था और लगातार बर्फबारी हो रही थी। वह अपने तीन साथियों के साथ गुरुवार रात कंटेनर में सो गए। सुबह करीब साढ़े सात बजे जब उठे तो कंटेनर का दरवाजा नहीं खुला।
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कंटेनर के बाहर डेढ़ फीट से ज्यादा बर्फ गिर चुकी थी और इसी वजह से दरवाजा जाम हो गया था। किसी तरह दरवाजा थोड़ा सा खुला और बाहर का नजारा देखा तो मंजर डरावना था। बाहर तेज तूफान चल रहा था। उन्होंने सभी को कंटेनर के अंदर ही रुकने के लिए कहा।
उत्तरकाशी: गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डबरानी के पास हिमस्खलन व मलबा आने से बंद। गंगनानी से डबरानी के बीच लगातार बारिश के चलते पहाड़ी से गिर रहे पत्थर। - जागरण
कुछ पल ही गुजरे थे कि तभी ऊंची चोटी से हिमस्खलन हो गया। बर्फ के तूफान ने इतनी जोरदार टक्कर मारी कि उनका कंटेनर करीब 60 मीटर दूर नदी के तट पर जाकर गिरा। नीरज के दो साथी गंभीर रूप से घायल हुए। जबकि उनके साथ मौजूद एक साथी चल पाने की स्थिति में था। जब वह सुनसानी होने पर बाहर निकले तो आर्मी के जवानों पर नजर पड़ी। आर्मी ने उन्हें अस्पताल भेजा। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद नीरज को एयरलिफ्ट कर जोशीमठ के आर्मी अस्पताल में भर्ती किया गया।
टीवी में भतीजे को स्ट्रेचर पर ले जाते देखा तो माता-पिता की धड़कने बढ़ीं
नीरज की मां दुर्गा व उनके पिता धन सिंह बिष्ट घर पर हैं। उनकी मां दुर्गा ने बताया कि शुक्रवार को एवलांच की खबर टीवी पर देखी और जब माणा का नाम सुना तो पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि उनका बेटा भी वहीं था। उसका फोन बर्फीले तूफान में गुम हो चुका था, जिसके चलते मां की बेटे से बात नहीं हो पा रही थी।
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गुरुवार का पूरा दिन और पूरी रात गुजर गई। टीवी में भतीजे को स्ट्रेचर पर ले जाते देखा तो माता-पिता की धड़कने और बढ़ गईं। हालांकि शनिवार सुबह सुकून भरी साबित हुई, जब बेटे नीरज की आवाज उसकी मां ने फोन पर सुनी। नीरज को हल्की चोंटे थीं। दुर्गा का कहना है कि पूरी रात वह सो नहीं पाईं। जैसे ही आंख लगती तो फिर खुल जाती।
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