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    सूखाताल में अतिक्रमण कर बनाए भवन होंगे ध्वस्त, 34 लोगों काे नोटिस जारी nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 02 Mar 2020 08:57 AM (IST)

    नैनी झील के कैचमेंट क्षेत्र सूखाताल में अतिक्रमण कर बनाए गए भवनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई पांच मार्च को की जाएगी।

    सूखाताल में अतिक्रमण कर बनाए भवन होंगे ध्वस्त, 34 लोगों काे नोटिस जारी nainital news

    नैनीताल, जेएनएन : नैनी झील के कैचमेंट क्षेत्र सूखाताल में अतिक्रमण कर बनाए गए भवनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई पांच मार्च को की जाएगी। हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चिह्नित 44 भवन ध्वस्त किए जाने थे, जिसमें से जिला विकास प्राधिकरण द्वारा 16 और पालिका द्वारा 18 भवन स्वामियों को नोटिस जारी करने के साथ ही रविवार को भवनों मेें नोटिस चस्पा किए।

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    पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने लगाई थी पीआइएल

    पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने 2012 में सूखाताल में अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने मानकों के प्रतिकूल बनाए गए निर्माण कार्य चिह्नित करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट के आदेशों के बाद कमेटी का गठन कर 2014 में क्षेत्र का सर्वे कर कुल 44 भवन चिह्नित किए गए थे। जिनको नोटिस देने के बाद पालिका द्वारा एक भवन ध्वस्त भी किया गया था। वहीं अगस्त 2019 के कोर्ट के अंतिम आदेश के अनुपालन में शेष भवनों पर कार्रवाई की जानी है।

    डीडीए और पालिका ने जारी किए नोटिस

    डीडीए सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि कुल 44 भवनों में से 16 डीडीए द्वारा और 27 भवन नगर पालिका द्वारा पूर्व में स्वीकृत मानचित्र व नजूल भूमि में आवंटित निर्माण से संबंधित है। जबकि एक भवन पूर्व में ही ध्वस्त किया जा चुका है। बताया कि रविवार को डीडीए कर्मियों ने चिह्नित भवनों पर नोटिस चस्पा किए। वही पालिका ईओ अशोक वर्मा ने बताया कि डीडीए की ओर से चिह्नित 27 लोगों की सूची मिली है। अभिलेखों की जांच से पता चला है कि जिसमें 18 भवन ही पालिका से संबंधित है। जिनको नोटिस जारी कर दिए गए है।

    विभिन्न विभागों की टीम हुई गठित

    पांच मार्च को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों की टीम गठित कर दी गई है, जिसमें उपजिलाधिकारी विनोद कुमार, डीडीए सचिव पंकज उपाध्याय, ईओ अशोक वर्मा, सिंचाई विभाग ईई एचसी सिंह समेत शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीओ विजय थापा मय पुलिस फोर्स के तैनात रहेंगे।

    नोटिस से क्षेत्रवासियों में हड़कंप

    पिछले आठ सालों से सूखाताल डूब क्षेत्र में अतिक्रमण हटाए जाने की कवायद चल रही है। अब इसका पटाक्षेप होना तय माना जा रहा है। ध्वस्तीरकरण की कड़ी को आगे बढ़ाने के साथ ही रविवार को डीडीए और पालिका की ओर से नोटिस चस्पा कर दिए हैं। जिसके चलते  क्षेत्रवासियों में हड़कंप मचा हुआ है।

    सूखाताल में कभी चलती थी नौकाएं

    पर्यटन के नक्शे में देश ही नहीं दुनिया में ख्याति प्राप्त नैनी झील के अस्तित्व का एक अहम हिस्सा सूखाताल झील है। नैनी झील को 40 से 50 फीसद जल की आपूर्ति सूखाताल झील से ही होती थी। अतिक्रमण और निर्माण कार्य की मार से सूखे का दंश झेल रही यह झील कई दशकों पूर्व पानी से लबालब हुआ करती थी। झील में इतना भरपूर पानी हुआ करता था कि यहां नौकाएं चला करती थी। लेकिन निर्माण कार्य और अतिक्रमण के कारण आज यह झील अपना अस्तित्व खो चुकी है। जिससे सबसे बड़ा खतरा नैनी झील के लिए उत्पन्न हो गया है।

    जिम कॉर्बेट का सूखाताल से रहा है गहरा नाता

    पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत बताते है कि सूखाताल में छह माह की अवधि में जब पानी नहीं रहता था तो वहा अंग्रेजों द्वारा विद्यार्थियों को बंदूक चलाना सिखाया जाता था। जिम कॉर्बेट ने भी इसी जगह बंदूक चलाने का प्रशिक्षण अपने बड़े भाई टॉम से लिया था। इसके अलावा सूखाताल झील से लगा हुआ सेंटजॉन कब्रिस्तान में जिम कॉर्बेट के  पिता और मां की कब्र आज भी मौजूद है। बताया कि नैनीताल को बसाने वाले कमिश्नर लुशिंगटन की कब्र भी इसी कब्रिस्तान में मौजूद है।

    रसूखदारों पर करम गरीबों पर सितम

    सूखाताल झील के समीप के भवनों के ध्वस्त करने संबंधी कार्रवाई को प्रो. रावत ने रसूखदारों पर करम और गरीबों पर सितम करार दिया है। उनका कहना है कि कोर्ट के निर्देशों के बाद गठित कमेटी ने सर्वे कर रसूकदारों के भवनों को बचाने का कार्य किया है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में गरीब लोगों के आवास और प्रतिष्ठान ही शामिल है। वही डीडीए सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि चिह्नित भवनों के अलावा भविष्य में अन्य भवनों को भी ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा सकती है।

    वैटलैंड में निर्माण कार्य है प्रतिबंधित

    पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने बताया कि सूखाताल एक दलदला क्षेत्र है। जहां कभी छह माह पानी और छह माह सूखा रहा करता था। जोकि यहां की परिस्थितिकी के लिए काफी अहम था। नम भूमि के संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर प्रयास करते हुए रामसार कन्वेंशन परियोजना चलाई जा रही है। जिसके आधार पर नम भूमि पर कोई भी निर्माण कार्य पूरी तरह प्रतिबंधित है। भारत भी इस परियोजना से जुड़ा हुआ है। लेकिन उत्तराखंड में इसको ताक में रखकर निर्माण कार्य किए जा रहे है। जिसका उदाहरण सूखाताल झील में हुए निर्माण कार्य है।

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