Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    बिंदुखत्‍ता क्षेत्र के लोगाें को 40 साल से है राजस्व गांव बनने का इंतजार, हर बार छले गए

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 15 Mar 2019 11:45 AM (IST)

    लोकसभा व विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने वाला बिंदुखत्ता क्षेत्र पिछले 40 वर्षो से राजस्व गांव बनने का इंतजार कर रहा है।

    बिंदुखत्‍ता क्षेत्र के लोगाें को 40 साल से है राजस्व गांव बनने का इंतजार, हर बार छले गए

    लालकुआं, प्रकाश जोशी : लोकसभा व विधानसभा चुनावों में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने वाला बिंदुखत्ता क्षेत्र पिछले 40 वर्षो से राजस्व गांव बनने का इंतजार कर रहा है। हर चुनाव में यहां के लोगों को राजस्व गांव का झांसा देकर वोट बटोरे जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद तकनीकी पेंच का बहाना बनाकर वायदे से मुकर जाना हर बार का किस्सा बन गया है। जिस कारण यहां की लगभग 80 हजार की आबादी अपने ही देश में दोयम दर्जे का जीवन यापन करने को मजबूर है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लोगों की कई पीढिय़ां गुजर गई, मकान कच्चे से पक्के हो गए, लालटेन की जगह बिजली के बल्ब रोशन होने लगे। वक्त के साथ सब कुछ बदलता चला गया, पर जो कुछ नहीं बदला वह है बिंदुखत्ता के लोगों की संघर्ष की गाथा। यह व्यथा है नैनीताल जनपद के सबसे बड़े गांव बिंदुखत्ता की है। दरअसल लगभग 40 वर्ष पूर्व कुमाऊं व गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों के लोग बड़ी तादात में बिंदुखत्ता में आकर बसे। वह सब अलग-अलग कारणों से यहां आए। अपने अथक परिश्रम से ग्रामीणों ने बियावन क्षेत्र को रहने योग्य बनाया। समय बीतने के साथ-साथ ग्रामीणों के संघर्षो के बाद यहां धीरे-धीरे सड़क, स्कूल, अस्पताल समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हो पाई। लेकिन राजस्व गांव का मुद्दा लटका रहा। इस  मुद्दे पर सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों व निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने इमानदारी से काम नही किया।

    विगत कई चुनावों में राजस्व गांव का मुद्दा भुनाकर कई जनप्रतिनिधि केंद्र संसद व विधान सभा में पहुंचे, परंतु बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने की वर्षो पुरानी मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी। जनप्रतिनिधियों के लिए सबसे अच्छी बात यह कि उन्हें यहां के वोटरों को लुभाने के लिए किसी बड़े मुद्दे की जरूरत नहीं होती। वोट बटोरने के लिए सिर्फ राजस्व गांव का मुद्दा ही काफी है। यहां के वाशिंदे राजस्व गांव के नाम पर दशकों से छले जा रहे हैं।

    देशसेवा में बिंदुखत्ता के सैनिकों का अहम रोल

    बिंदुखत्ता में निवास करने वाले तमाम लोग सेना व अद्र्धसैनिक बलों में तैनात हैं। काफी संख्या में पूर्व सैनिक भी यहां रहते हैं। जिस कारण बिंदुखत्ता को सैनिक बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। राज्य बनने के बाद से अब तक अशोक चक्र विजेता मोहन नाथ गोस्वामी समेत करीब एक दर्जन जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। परंतु केंद्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधि बलिदानियों की शहादत का महत्व नहीं समझ पाए।

    कांग्रेस सरकार ने बनाई पालिका, जनता ने नकारा

    सीपीएस गंगवार, ईई, जलनिगम  ने कहा कि पूर्ववर्ती कांगेस सरकार ने क्षेत्र को नगरपालिका बनाया था। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के मानकों में फिट नही रहने के कारण यहां के लोगों ने नगरपालिका का प्रबल विरोध किया। जिस कारण राज्य सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा लेगी।

    यह भी पढ़ें : 'आप' के संस्‍थापकों में शामिल रहे समाजशास्त्री प्रो. आनंद ने केजरीवाल पर बोला बड़ा हमला

    यह भी पढ़ें : नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के दो मंत्रियों अरविंद व यशपाल की प्रतिष्‍ठा भी दांव पर