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    Baigul Dhaura reservoir : उत्तराखंड का दूसरा रामसर साइट बनेगा बैगुल-धौरा जलाशय, जानें क्या होती रामसर साइट

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 08 Feb 2022 08:10 AM (IST)

    Baigul Dhaura reservoir ऊधम सिंह नगर में स्थित बैगुल-धौरा जलाशय का फारेस्ट विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WWI) के विशेषज्ञों की टीम से सर्वे करा लिया है। जिसके रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। उसके बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से होगी सिफारिश

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    Baigul Dhaura reservoir: बैगुल-धौरा जलाशय के रामसर साइट्स बनने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान

    गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : Baigul Dhaura reservoir : ऊधम सिंह नगर में स्थित बैगुल-धौरा जलाशय रामसर साइट (Ramsar site) में शामिल होने की उपलब्धि पा सकता है। वन विभाग ने इस दिशा में पहल करते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान (WWI) की टीम से सर्वे भी करा लिया। मार्च में इसकी रिपोर्ट मिल जाएगी। रामसर साइट की सूची में अभी तक देश के 47 स्थल हैं। जिसमें उत्तराखंड से एकमात्र आसन कंजरवेशन रिजर्व है। आसन देहरादून जिले के विकासनगर में स्थित है।

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    ऊधम सिंह नगर के सितारगंज से सटा बैगुल-धौरा जलाशय जलीय विविधता के लिए जाना जाता है। जलाशय में कई मछली व अन्य जलीय प्रजातियां के अलावा मगरमच्छ भी हैं। इसके अलावा प्रवासी पक्षी भी हर साल यहां डेरा जमाते हैं। इन परिंदों की सुरक्षा के लिए वन विभाग लगातार निगरानी करता है। बैगुल-धौरा जलाशय में पानी के कारण आसपास का इलाका वेटलैंड कहलाता है। ऐसे में पक्षियों के आकर्षण का केंद्र बनना लाजिमी है।

    इसी वजह से तराई पूर्वी डिवीजन के डीएफओ संदीप कुमार ने डब्ल्यूडब्ल्यूआइ की टीम को बुला सर्वे करवाया। मार्च में सर्वे रिपोर्ट मिलने पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजी जाएगी। जहां से रामसर साइटस सेल के पास मामला पहुंचेगा। संभावना है कि इसके बाद केंद्र से मुख्य टीम डैम क्षेत्र के निरीक्षण को पहुंचेगी। रामसर स्थल के तौर पर मान्यता मिलने पर बैगुल-धौरा डैम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने के साथ ईको पर्यटन के जरिये रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

    नौ बिंदुओं पर हुआ सर्वे

    डीएफओ तराई पूर्वी संदीप कुमार ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम ने नौ बिंदुओं पर बैगुल-धौरा डैम का सर्वे किया था। डैम व आसपास के क्षेत्र में स्थानीय पक्षी और जलीय जीवों का आंकलन किया गया। कुल कितने पक्षी यहां होंगे। हर साल आने वाले प्रवासी पक्षियों और उनकी दुर्लभता के अलावा क्षेत्र के रामसर साइट में आने से स्थानीय लोगों को क्या फायदा होगा। सर्वे में इन बिंदुओं को भी शामिल किया गया।

    यह होती है रामसर साइट

    रामसर शब्द 1971 में ईरान के एक शहर के नाम से लिया गया है। जहां वेटलैंड यानी नमी वाले क्षेत्र के संरक्षण और इस्तेमाल को लेकर इंटरनेशनल संधि हुई थी। भारत 1982 में इस संधि में शामिल हुआ। वेटलैंड वाले इलाकों के रामसर साइट में आने पर नई पहचान मिलने के साथ सुरक्षा और सरंक्षण से जुड़े मामलों में फंड भी उपलब्ध होगा।