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    भूकंप के अध्ययन के लिए अमेरिका से पहुंचीं भूगर्भ वैज्ञानिक, रहस्‍यों से उठेगा पर्दा nainital news

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    Updated: Tue, 25 Feb 2020 09:34 AM (IST)

    रामनगर तहसील के नंदपुर गैबुआ गाव में भूकंप संबंधी अध्ययन के लिए अब अमेरिका की महिला भूगर्भ वैज्ञानिक टीना म्यानी भी पहुंच गई हैं।

    भूकंप के अध्ययन के लिए अमेरिका से पहुंचीं भूगर्भ वैज्ञानिक, रहस्‍यों से उठेगा पर्दा nainital news

    रामनगर, जेएनएन : रामनगर तहसील के नंदपुर गैबुआ गांव में भूकंप संबंधी अध्ययन के लिए अब अमेरिका की महिला भूगर्भ वैज्ञानिक टीना म्योनी भी पहुंच गई हैं। अमेरिकी भू वैज्ञानिक ने स्थलीय निरीक्षण कर वहां मिले अवशेषों की जानकारी ली। इस बीच दिल्ली से पहुंची अर्थ साइंस टीम के सुझाव पर मौके पर और खुदान कार्य शुरू कर दिया गया है।

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    गैबुआ में भूकंप के कारण जमीन की सतह टूटने के मिले हैं प्रमाण

    आइआइटी कानपुर के वैज्ञानिक आठ फरवरी से क्षेत्र में भूकंप को लेकर शोध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने हल्द्वानी-रामनगर मार्ग पर एक पहाड़ी की तलहटी पर 25 मीटर लंबाई व दो मीटर गहराई का गड्ढा खोद कर परीक्षण कार्य किया। आइआइटी कानपुर के वैज्ञानिकों को गैबुआ गांव में पहाड़ी की तलहटी के पास खोदाई में भूकंप के कंपन की वजह से जमीन की सतह टूटने के प्रमाण मिले हैं। अब इस बात का पता लगाया जा रहा है कि भूकंप की वजह से जमीन की जो सतह टूटी है, वह भूकंप आया कब था। यदि उस भूकंप को काफी लंबा अरसा बीत चुका है तो भविष्य में यहां दोबारा बड़ा भूकंप आने की आशंका जताई जा रही है।

    अमेरिका से पहुंचीं टीना म्योनी

    रविवार को दिल्ली से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 15 सदस्यीय टीम ने यहां स्थलीय निरीक्षण किया था। इधर सोमवार को अमेरिका के मिसौरी राज्य के कंसास सिटी में कार्यरत भूगर्भ वैज्ञानिक टीना म्योनी अध्ययन के लिए गैबुआ पहुंचीं। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक ने उन्हे क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और यहां पर अब तक किए गए शोध अध्ययन की जानकारी दी। इस बीच पूर्व में खोदे गए गड्ढे को और गहरा करने के लिए जेसीबी से करीब डेढ़ मीटर खुदान कराया गया। भूगर्भ वैज्ञानिक टीना म्योनी की मानें तो अमेरिका में भूकंप प्रतिरोधक भवनों का निर्माण किया जाता है लेकिन भारत में इसकी अनदेखी होती रहती है। उन्होंने बताया कि वह छठी बार उत्तराखंड आ चुकी है।

    वैज्ञानिकों के बीच हा सकता है एमओयू 

    भूगर्भ के क्षेत्र में संयुक्त रूप से काम करने के लिए विदेशी व भारती वैज्ञानिकों के बीच एमओयू हो सकता है। इससे एक-दूसरे के अनुभवों का लाभ लेते हुए भूगर्भ के क्षेत्र में बेहतर परिणाम निकाले जा सकते हैं। यह बात आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक ने कहीं। प्रो. मलिक ने बताया कि यहां अध्ययन के लिए पहुंची अमेरिकी भूगर्भ वैज्ञानिक टीना की पहले से ही इस क्षेत्र में काम करने की रुचि रही है। पहले भी वह वाडिया संस्थान के साथ काम कर चुकी हैं। भूगर्भ के क्षेत्र में हम लोग साथ-साथ काम करने के लिए एमओयू पर विचार कर रहे हैं।

    कोरोना वायरस ने रोकी विदेशी मेहमानों की राह

    गैबुआ में भूकंप को लेकर किए जा रहे अध्ययन के लिए रामनगर आने वाले विदेशी मेहमानों का कोरोना वायरस ने रास्ता रोक दिया। विदेशों में भूगर्भ के क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों के एक दल को गैैबुआ में आइआइटी कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे अध्ययन में शामिल होना था। दल ने 25 से 29 फरवरी तक गैबुआ गांव में मिले अवशेषों का अध्ययन करना था लेकिन चीन में फैले कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने विदेशी मेहमानों के आने पर रोक लगा दी है।

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