सानंद के विज्ञान से अध्यात्म तक के सफर की है अनूठी कहानी
प्रो. गुरुदास अग्रवाल का विज्ञान से अध्यात्म की शरण में जाने की भी अनूठी कहानी है। उन्होंने पर्यावरणविद के रूप में ख्याति अर्जित की।
हरिद्वार, [जेएनएन]: पर्यावरण विज्ञानी प्रो. गुरुदास अग्रवाल का विज्ञान से अध्यात्म की शरण में जाने की भी अनूठी कहानी है। उन्होंने पर्यावरणविद के रूप में जितनी ख्याति अर्जित की, उतनी ही पर्यावरण संरक्षण के लिए संत के रूप में भी। गंगा रक्षा के संकल्प के साथ वर्ष 2011 में उन्होंने ज्योतिष-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से ज्ञान दीक्षा ग्रहण कर अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद वह स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद बन गए।
सानंद के बारे में यह भी प्रचलित है कि पर्यावरण विज्ञानी रहते हुए उन्होंने भागीरथी नदी पर बनने वाली टिहरी बांध परियोजना की स्वीकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन, बाद में टिहरी बांध के कारण गंगा की दुर्दशा देख उनका विज्ञान से बिलगाव हो गया। यही वजह थी कि ब्रह्मचर्य धारी प्रो. गुरुदास अग्रवाल ने संन्यास ग्रहण करते हुए समस्त सांसारिक गतिविधियों को त्याग दिया और गंगा के लिए जीवन समर्पित कर दिया।
20 जुलाई 1932 को मुज्जफरनगर उत्तर प्रदेश के कांधला कस्बे में जन्में प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल ने वहीं प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आइआइटी रुड़की (तब रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज) से सिविल व एन्वायरन्मेंटल साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके बाद वह 17 वर्ष तक आइआइटी कानपुर में पर्यावरणीय इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत रहे। इस दौरान वह विभाग के एचओडी भी रहे। सानंद गंगा महासभा के संरक्षक भी थे, जिसे पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1905 में स्थापित किया था। एक संन्यासी के तौर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रथम सदस्य भी रहे। उन्होंने गंगा पर विभिन्न बांध परियोजनाओं का निर्माण रोकने को लेकर कई बार तपस्या भी की।
13 दिन पूर्व हो गया था छोटे भाई का निधन
सानंद के निधन से 13 दिन पहले पतंनगर विवि में प्रोफेसर रहे उनके छोटे भाई उत्तम स्वरूप अग्रवाल का भी निधन हो गया था। यह जानकारी सानंद के निधन के बाद ऋषिकेश एम्स पहुंचे उनके भतीजे एवं दत्तक पुत्र तरुण अग्रवाल ने दी।
परिचय
- प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल (स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद) का प्रोफाइल
- जन्म- 20 जुलाई 1932, कांधला, जिला मुजफ्फनगर, उत्तर प्रदेश
- निवास -चित्रकूट मध्य प्रदेश
- शिक्षा-रुड़की इंजीनियरिंग कालेज से सिविल इंजीनियरिंग
- पीएचडी-कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बरकली अमेरिका
- विशेषज्ञता- पर्यावरणीय इंजीनियर
- उपलब्धि- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के प्रथम सदस्य,
- आइआइटी कानपुर में पर्यावरणीय इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर
- अवसान- 11 अक्टूबर 2018, ऋषिकेश
तारीखों के आईने में
- 13 जून 2018 : मातृसदन आश्रम में गंगा रक्षा को तप (अनशन) करने की घोषणा।
- 22 जून : मातृसदन आश्रम में तप शुरू। इस दौरान वह केवल जल, नींबू, शहद और नमक लेते रहे।
- एक जुलाई : केंद्रीय मंत्री उमा भारती का तप त्यागने का आग्रह पत्र लेकर उनके प्रतिनिधि के तौर पर पतंजलि के एमडी बालकृष्ण मातृसदन पहुंचे।
- पांच जुलाई : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पत्र भेजकर उनसे तप त्यागने का आग्रह किया। इसके जवाब में स्वामी सानंद ने 18 जुलाई से प्रारंभ हो रहे संसद सत्र में गंगा एक्ट पारित करने के लिए कैबिनेट की बैठक में इसे पारित करने की मांग रखी।
- छह व सात जुलाई : जल पुरुष राजेंद्र ङ्क्षसह ने मातृसदन में स्वामी सानंद के तप के समर्थन में गंगा तपस्या को संवाद कार्यक्रम किया।
- छह जुलाई: पूर्व सीएम हरीश रावत भी संवाद कार्यक्रम में अपना समर्थन आश्रम में देने के लिए पहुंचे थेेे।
- दस जुलाई : स्वामी सानंद को पहले राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- 11 जुलाई : दिल्ली में उनके समर्थन में संतों का धरना।
- 13 जुलाई: हाईकोर्ट के आदेश पर ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया, 23 जुलाई को रिलीव किए गए।
- 13 अगस्त: तीसरी बार ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया। यहां पांच दिन तक उनका इलाज चला।
- नौ अक्टूबर : हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक मातृसदन पहुंचे, लेकिन उनका आग्रह ठुकराकर पूर्व घोषणा के अनुसार स्वामी सानंद ने जल भी त्याग दिया।
- दस अक्टूबर : प्रशासन ने दोपहर में उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया।
- 11 अक्टूबर : एम्स ऋषिकेश में स्वामी सानंद का निधन।
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