स्वामी सानंद की हुई सुनियोजित हत्या: स्वामी शिवानंद सरस्वती
मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की मौत को सुनियोजित हत्या करार दिया है।
हरिद्वार, [जेएनएन]: मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की मौत को सुनियोजित हत्या करार दिया है। उन्होंने एक केंद्रीय मंत्री के साथ ही हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत, एसडीएम सदर मनीष कुमार सिंह, सीओ कनखल एसके सिंह और जगजीतपुर चौकी इंचार्ज पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर अविलंब गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने मामले की जांच एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) से कराने की भी मांग की। कहा कि सरकार के ऐसा न करने पर वह उनके खिलाफ कोर्ट के माध्यम से हत्या का मुकदमा दर्ज कराएंगे। साथ ही नवरात्र के बाद इन मांगों को लेकर स्वयं कठोर तप करेंगे।
मातृसदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि आठ अक्टूबर को चिकित्सकीय जांच में सानंद की की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति बिल्कुल दुरुस्त थी। बुधवार को एम्स ले जाते वक्त भी वह चैतन्य थे। उन्होंने गुरुवार सुबह पौने सात बजे एम्स ऋषिकेश से मातृसदन को पत्र लिखकर वाट्सएप किया था। मीडिया के नाम लिखे इस पत्र को उन्होंने मीडिया को जारी करने का अनुरोध भी किया था। कहा कि जो व्यक्ति सुबह तक स्वस्थ एवं चैतन्य था, दोपहर को अचानक कैसे उसकी मृत्यु हो गई। सानंद के शरीर में पोटेशियम भी इतना कम नहीं था कि उन्हें हाईडोज देना जरूरी हो गया। एम्स के चिकित्सकों ने पोटेशियम 1.7 मिग्रा होने के बावजूद उन्हें पोटेशियम की हाईडोज दी, जबकि सामान्य स्थिति में पोटेशियम की मात्रा 3.5 मिग्रा मानी जाती है। कहा कि गंगा की निर्मलता, पवित्रता और रक्षा के लिए मातृसदन का आंदोलन जारी रहेगा।
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल को दी जाए देह
स्वामी सानंद के गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सानंद की देह किसी भी हालत में ऋषिकेश एम्स को न दी जाए। उन्होंने मातृसदन के हवाले से मीडिया को जारी बयान में कहा कि सानंद की देह ऋषिकेश एम्स को देने से उनकी मौत के असल कारणों की जानकारी नहीं हो पाएगी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बेहद जरूरी होने पर सानंद की देह को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल मेडिकल कॉलेज को दान देने की बात कही है। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने भी इस बात का समर्थन किया है।
अनशन ही नहीं कानूनी अधिकार भी हैं मातृसदन के हथियार
गंगा और पर्यावरण रक्षा के लिए मातृसदन की ओर से संविधान के दायरे में रहकर तप व अनशन ही नहीं, बल्कि समय-समय प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस देने से लेकर उनके विरुद्ध वाद भी दायर कराए जाते रहे हैं। मातृसदन की ओर से अब तक प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य के विरुद्ध दो दर्जन से अधिक वाद कोर्ट मे दायर कराए गए हैं। हालिया मामले में आश्रम की जमीन को लेकर मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रह्मचारी दयानंद की ओर से 24 अगस्त को डीएम समेत छह अफसरों के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में वाद कराया गया।
प्रमुख मामले
- फरवरी 2015 : स्वामी शिवानंद की ओर से एसडीएम प्रत्यूष ङ्क्षसह के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में वाद दायर
- नवंबर 2017 : बिना जांच रिपोर्ट और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर गंगा में खनन पट्टे जारी करने का आरोप लगाते हुए मातृसदन ने जिलाधिकारी को भेजा कानूनी नोटिस।
- दिसंबर 2017 : ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज ऑडीटोरियम में पंडित मदन मोहन मालवीय के 156वें जयंती समारोह में जिलाधिकारी दीपक रावत को महामना मालवीय सम्मान देने का विरोध करने पर मातृसदन के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को गिरफ्तार किया गया। इस पर मातृसदन ने जिलाधिकारी और उनके गनर पर जानलेवा हमले का आरोप लगाते हुए कोर्ट में दर्ज कराया वाद।
- दिसंबर 2017 : गंगा में खोले गए खनन और स्टोन क्रशरों को बंद कराने की मांग को लेकर मातृसदन में अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को जबरन उठाकर दून अस्पताल व एम्स में रखने और दून अस्पताल में जहर देकर मारने के प्रयास का आरोप लगाते हुए मुख्य सचिव, डीएम, एसडीएम आदि के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट में वाद दायर।
- अगस्त 2018 : फर्जी कागज तैयार कर सरकारी कार्य में इस्तेमाल, षड्यंत्र रचने और मिथ्या साक्ष्य तैयार करने जैसे आरोप लगाते हुए स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रह्मचारी दयानंद ने डीएम, एसडीएम, तहसीलदार समेत छह अफसरों के विरुद्ध किया वाद दायर।
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