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    Twin Tower Blast : रुड़की के विज्ञानियों ने तैयार किया था ध्वस्तीकरण का डिजाइन, बताया किस चुनौती का किया सामना

    By Nirmala BohraEdited By:
    Updated: Mon, 29 Aug 2022 12:22 PM (IST)

    Twin Tower Blast इस ट्विन टावर को सफलतापूर्वक ध्वस्त करने के लिए टावरों के कालम और सीवर वाल में 9460 छेद किए गए थे जिनकी लंबाई 19 किमी थी। रविवार को ...और पढ़ें

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    Twin Tower Blast : रुड़की के विज्ञानियों ने तैयार किया था ध्वस्तीकरण का डिजाइन। File

    रीना डंडरियाल, रुड़की : Twin Tower Blast : केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की के विज्ञानियों द्वारा नोएडा सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर (एपेक्स और सियान) के ध्वस्तीकरण को लेकर शोध किया जाएगा। ताकि यदि भविष्य में यदि कहीं इस प्रकार के ध्वस्तीकरण की आवश्यकता पड़ती है तो उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके।

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    टावरों के कालम और सीवर वाल में किए गए 9460 छेद

    संस्थान के मुख्य विज्ञानी डा. डीपी कानूनगो ने बताया कि इस ट्विन टावर को सफलतापूर्वक ध्वस्त करने के लिए टावरों के कालम और सीवर वाल में 9460 छेद किए गए थे, जिनकी लंबाई 19 किमी थी।

    जबकि, ध्वस्तीकरण के लिए 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान एवं सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिम्फर) धनबाद के विज्ञानियों की विशेषज्ञ सलाह के बाद ही नोएडा में ट्विन टावर का सफलतापूर्वक ध्वस्तीकरण हो सका।

    रविवार को ट्विन टावर ध्वस्तीकरण की निगरानी के लिए सीबीआरआइ रुड़की से टीम लीडर एवं मुख्य विज्ञानी डा. डीपी कानूनगो अपनी टीम के साथ मौके पर मौजूद रहे।

    डा. कानूनगो ने बताया कि ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के लिए संस्थान के विज्ञानियों ने अन्य एजेंसियों के बीच सामंजस्य बनाया। इसके बाद 3700 किलो बारूद दोनों टावर में कैसे और कहां-कहां लगाना है, फ्लोर से फ्लोर का कनेक्शन कैसे करना है, इसकी योजना बनाई गई।

    यही नहीं, टावरों में बारूद लगाने के बाद उसकी जांच भी की गई। डा. कानूनगो ने बताया कि देश के सबसे बड़े इन टावरों को ध्वस्त करने के लिए कंट्रोल ब्लास्ट किया गया, जिससे नौ मीटर दूर तक कोई मलबा नहीं पहुंचा। केवल एटीएस बाउंड्री वाल सात से दस मीटर तक क्षतिग्रस्त हुई। ध्वस्तीकरण से निकलने वाले मलबे को एक ही दिशा में गिराया गया।

    गैस पाइप लाइन सुरक्षित रखना था चुनौती

    सीबीआरआइ के मुख्य विज्ञानी डा. कानूनगो ने बताया कि ट्विन टावर के एक ओर चार और दूसरी तरफ तीन टावर थे। वहीं, एटीएस टावर के आठ से दस मीटर दूर जमीन की तीन मीटर गहराई में गैस पाइपलाइन थी। स्क्ट्रचरल डैमेज रोकने के लिए आडिट के साथ एनालिसिस किया गया। साथ ही कालम चिह्नित कर रेट्रो फिटिंग आदि बातों पर विशेष ध्यान दिया गया।

    कंपन की मानीटरिंग के लिए लगाए गए 19 उपकरण

    डा. कानूनगो ने बताया कि सीबीआरआइ रुड़की की टीम ने ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के दौरान जमीन के अंदर होने वाले कंपन की मानीटरिंग को 19 उपकरण लगाए थे। वहीं, ध्वस्तीकरण से पहले, उसके दौरान और बाद में ड्रोन से मैपिंग भी की गई। कैमरे लगाकर वीडियोग्राफी भी की गई, ताकि डाटा इकट्ठा किया जा सके।