Updated: Sun, 10 Aug 2025 06:00 AM (IST)
रक्षाबंधन के दिन राखी नेगी और माया नामक दो बहनें अपने भाइयों को ढूंढने के लिए मातली हेलीपैड पर इंतजार करती रहीं। उनके भाई धराली आपदा में लापता हो गए थे। राखी का भाई शुभम पांच अगस्त से लापता है जबकि माया का भाई दीपक भी आपदा के बाद से नहीं मिला है। खराब मौसम और संचार व्यवस्था ठप होने के कारण उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण उत्तरकाशी। मातली हेलीपैड पर शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक कई बार हेलीकाप्टरों ने हर्षिल के लिए उड़ान भरी। कुछ खास तो कुछ प्रभावितों के स्वजन को हर्षिल पहुंचाया गया, लेकिन उत्तरकाशी के कंसेंण गांव की राखी नेगी और देहरादून के जोगीवाला माजरी माफी की माया हेलीपैड में दिन भर अपनी बारी का इंतजार करती रहीं।
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हेलीपैड के पास बार-बार आसमान की ओर देखती रहीं। थक-हार निराश होकर दोनों को लौटना पड़ा। दोनों अपने-अपने भाइयों की तलाश में हर्षिल से धराली जाना चाहती थीं। रक्षाबंधन के पर्व पर भाइयों को ढूंढकर उनकी कलाइयों में राखी बांधना चाहती थीं।
राखी नेगी की आंखों में नमी, होंठों पर खामोशी और चेहरे पर मायूसी थी। उसने अपने भाई शुभम नेगी के लिए जो राखी खरीदी थी, वह उसी के पास रह गई। शुभम नेगी पांच दिन से लापता है। राखी का मन हर गुजरते पल के साथ बिखरता जा रहा है।
विगत पांच अगस्त को आया था सैलाब
पांच अगस्त को धराली की खीरगंगा में आए भीषण सैलाब के बाद राखी के छोटे भाई शुभम का भी पता नहीं चल पाया है। भाई-बहन के इस रिश्ते को सैलाब का वो मंजर बहा ले गया। राखी बताती हैं कि पांच दिन से वह प्रशासन से कह रही हैं कि उसे मुझे हेलीकाप्टर से हर्षिल पहुंचा दो, वहां से धराली जाकर अपने भाई को ढूंढ लूंगी, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।
धराली में छह दिनों से न बिजली है, न मोबाइल नेटवर्क। सड़क भी गंगनानी से आगे अभी तक नहीं खुल पाई है। वहां तक पहुंचना मुश्किल और वहां से कुछ सूचना आना नामुमकिन है। भाई की शादी को अभी करीब 10 महीने ही हुए हैं। वह धराली में होटल चला रहा था और पूरे घर का सहारा था।
देहरादून के जोगीवाला माजरी माफी निवासी दीपक राणा भी धराली आपदा में लापता हुआ है। वह कल्पकेदार होटल में रहता था। जिस दिन आपदा आई उस दिन दीपक राणा अपने दोस्त सूरज राणा के साथ होटल पर था।
शनिवार को दीपक की बहन माया देहरादून से उत्तरकाशी मातली पहुंची। भाई को तलाशने के लिए मातली हेलीपैड पर दिन भर इस आस में बैठी रही कि प्रशासन बहन-भाई के प्रेम की संवेदनाओं को समझेगा, लेकिन उसे निराश होकर लौटना पड़ा।
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