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हरिद्वार वन क्षेत्र में ढाई दशक बाद लकड़बग्घे की मौजूदगी का चला पता

हरिद्वार वन प्रभाग में विलुप्त मान लिए गए लकड़बग्घों की मौजूदगी का पता चला है। इसी वर्ष सेवानिवृत्त हुए एक वनाधिकारी ने लकड़बग्घों का वीडियो बनाकर उच्चाधिकारियों को सौंपा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 08:32 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:20 AM (IST)
हरिद्वार वन क्षेत्र में ढाई दशक बाद लकड़बग्घे की मौजूदगी का चला पता
हरिद्वार वन क्षेत्र में ढाई दशक बाद लकड़बग्घे की मौजूदगी का चला पता

हरिद्वार, [अनूप कुमार]: हरिद्वार वन प्रभाग में विलुप्त मान लिए गए लकड़बग्घों (हाइना) की मौजूदगी का पता चला है। इसी वर्ष सेवानिवृत्त हुए एक वनाधिकारी के प्रयासों से यह संभव हो पाया। उन्होंने लकड़बग्घों का वीडियो बनाकर उच्चाधिकारियों को सौंपा। इसके बाद विभाग ने कैमरा ट्रैप में भी इन्हें देखा। तब से इन पर लगातार नजर रखी जा रही है। हालांकि, अभी इनकी संख्या जानने के लिए कोई आधिकारिक प्रयास नहीं हुए, पर अंदाजन इनकी संख्या 300 के आसपास मानी जा रही है। प्रभाग में देखे गए यह धारीदार लकड़बग्घे दुर्लभ श्रेणी के हैं। 

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दो-ढाई दशक पूर्व हरिद्वार वन प्रभाग में लकड़बग्घों के मौजूद होने की जानकारी मिली थी। लेकिन, इनकी प्रामाणिक उपस्थिति को लेकर हमेशा ही संशय बना रहा। राज्य गठन के बाद तो यह मान लिया गया कि प्रभाग में लगड़बग्घे हैं ही नहीं यानी विलुप्त हो गए हैं। पर, हालियादिनों में वनाधिकारियों को हरिद्वार वन प्रभाग और राजाजी नेशनल पार्क में इनकी उपस्थिति के लगातार प्रमाण मिल रहे हैं। खास बात यह कि अब तक जितने भी लकड़बग्घों के बारे में जानकारी मिली, वह सभी दुर्लभ श्रेणी के धारीदार लकड़बग्घे हैं। 

हरिद्वार वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी आकाश वर्मा ने बताया कि कैमरा ट्रैप में लकड़बग्घे की मौजूदगी के प्रमाण उसके हालिया जन्मे बच्चे के साथ मिले हैं। जिसे वह अपने मुंह में दबाकर एक स्थान से दूसरे स्थान लेकर जा रहा है। इससे साफ है कि धारीदार लकड़बग्घे न सिर्फ यहां पर आ गए हैं, बल्कि उनका परिवार भी यहां है और वह प्रजनन भी कर रहे हैं। यह बेहद उत्साहजनक है, क्योंकि हरिद्वार वन प्रभाग और राजाजी नेशनल पार्क से लकड़बग्घों को विलुप्त हुआ मान लिया गया था। डीएफओ के अनुसार अब तक की जानकारी में सामने आया है कि इनकी आमद यहां 2013 की आपदा के बाद से हुई। इसके क्या कारण हैं, इसका पता लगाया जा रहा है। कहा कि फिलहाल इनकी आधिकारिक संख्या के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, कैमरा ट्रैप में सामने में आ रही इनकी लगातार मौजूदगी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सैकड़ों में हैं।

12 से 14 वर्ष तक का ही जीवन

धारीदार लकड़बग्घे का जीवन अधिकतम 12 से 14 वर्ष का ही होता है। डीएफओ वर्मा के अनुसार भारत में पाए जाने वाले लकड़बग्घे की ऊंचाई सामान्यत: 70 से 80 सेमी और लंबाई 100 से 130 सेमी तक होती है।

इसलिए कहते हैं प्रकृति का सफाई कर्मी

लकड़बग्घे मृत जीवों का सड़ा हुआ मांस बेहद पसंद करते हैं। इसके अलावा यह दीमक, खरगोश, जंगली नेवला, उदबिलाव, गिलहरी आदि को भी अपना भोजन बनाते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सफाई कर्मी कहा गया है। 

रात में हो जाता है खतरनाक

डीएफओ आकाश वर्मा ने बताया कि लकड़बग्घा दिन की अपेक्षा रात में अधिक खतरनाक हो जाता है। सामान्यत: यह रात में निकलने और शिकार करने वाला प्राणी है और हर वक्त समूह में रहता है। नर की अपेक्षा मादा अधिक बड़ी और खतरनाक होती है।

दुनिया में चार श्रेणी के लकड़बग्घे

विश्व में फिलवक्त चार श्रेणी के लकड़बग्घे ही पाए जाते हैं। इनमें हरिद्वार वन प्रभाग में मिले धारीदार लकड़बग्घे को दुर्लभ श्रेणी में रखा गया है। धब्बेदार, भूरे और कीटभक्षी लकड़बग्घे विश्व में कई स्थानों पर पाए जाते हैं।

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