Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष इस दिन से हो रहे हैं शुरू, यमराज की आज्ञा से पृथ्वी लोक पर आते हैं पितृ
Pitru Paksha 2022 भाद्र पद शुक्ल की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक का 16 दिन का समय पितृ पक्ष कहलाता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। श्राद्ध प ...और पढ़ें

रीना डंडरियाल, रुड़की: Pitru Paksha 2022 इस साल श्राद्ध पूरे 16 दिन के होंगे। पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) 10 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ पितृ विसर्जन होगा। श्राद्ध पक्ष में सभी कार्य पितृों के निमित्त ही किए जाएंगे और शुभ कार्य वर्जित होंगे।
16 दिन का समय पितृपक्ष कहलाता
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक 16 दिन का समय पितृपक्ष ( Pitru Paksha 2022) कहलाता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं।
11 सितंबर को होगा प्रतिपदा का श्राद्ध
उन्होंने बताया कि किसी पंचांग के मतानुसार 10 सितंबर को पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध एक ही दिन किया जाएगा। वहीं कुछ पंचांग के अनुसार 10 सितंबर को पूर्णिमा तथा 11 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा। ऐसा तिथियों के घटने बढ़ने से हो रहा है। इसके बाद क्रमवार पूर्णिमा से लेकर अमावस्या पर्यंत चलता रहेगा।
पृथ्वी लोक पर आते हैं पितृ
आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि ब्रह्म पुराण (Pitru Paksha significance) के अनुसार इन 16 दिनों में पितृ यमराज की आज्ञा से सूक्ष्म रूप में पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंशजों के द्वारा पिंड दान, तर्पण, भोजन आदि की कामना करते हैं। ऐसा नहीं करने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और पितृ रुष्ट हो जाते हैं। इसलिए इन 16 दिनों में श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया।
पितृों की तिथियों के अनुसार करें श्राद्ध
प्रत्येक व्यक्ति को अपने पितृों की तिथियों (Pitru Paksha 2022 Date) के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुछ खास तिथियों में खास लोगों का श्राद्ध जैसे परलोक सिधार चुकी सुहागिन स्त्रियों का श्राद्ध मातृ नवमी को, संन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी को, दुर्घटना से अथवा अकाल मृत्यु से मरे हुए व्यक्तियों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को और ज्ञात-अज्ञात लोगों का श्राद्ध अमावस्या के दिन करना चाहिए।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां (Dates of Shradh in Pitru Paksha)
- पूर्णिमा श्राद्ध : 10 सितंबर
- प्रतिपदा श्राद्ध : 10 सितंबर
- द्वितीया श्राद्ध : 11 सितंबर
- तृतीया श्राद्ध : 12 सितंबर
- चतुर्थी श्राद्ध : 13 सितंबर
- पंचमी श्राद्ध : 14 सितंबर
- षष्ठी श्राद्ध : 15 सितंबर
- सप्तमी श्राद्ध : 16 सितंबर
- अष्टमी श्राद्ध: 18 सितंबर
- नवमी श्राद्ध : 19 सितंबर
- दशमी श्राद्ध : 20 सितंबर
- एकादशी श्राद्ध : 21 सितंबर
- द्वादशी श्राद्ध: 22 सितंबर
- त्रयोदशी श्राद्ध : 23 सितंबर
- चतुर्दशी श्राद्ध: 24 सितंबर
- अमावस्या श्राद्ध: 25 सितंबरर
पितृों का स्मरण कर क्षमा याचना करने से भी श्राद्ध की पूर्णता
अगर कोई व्यक्ति श्राद्ध से संबंधित कर्म, पिंडदान (Pitru Paksha 2022 Pind Daan), ब्राह्मण भोजन, तर्पण आदि करने में समर्थ नहीं है तो उसे अपने पितृों की तिथियों पर गाय को चारा देकर कर्म की पूर्ति करनी चाहिए। अगर यह भी संभव नहीं हो तो किसी एकांत जगह में जाकर अपने दोनों हाथ ऊपर करके पितृों का स्मरण करते हुए उनसे क्षमा याचना करनी चाहिए। ऐसा कर देने से भी श्राद्ध की पूर्णता हो जाती है।

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