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Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष में तिथि पता न होने पर जानें कब कर सकते हैं श्राद्ध

आने वाले सोमवार से पितृ पक्ष आरंभ हो रहे हैं जो छह अक्टूबर को संपन्न होगा। पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य वर्जित होंगे। मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितृ यमराज की आज्ञानुसार सूक्ष्म रूप में पृथ्वी लोक पर आते हैं।

By Edited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 09:19 PM (IST)
आने वाली 20 सितंबर यानी सोमवार से पितृ पक्ष आरंभ हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, रुड़की। Pitru Paksha 2021: आने वाली 20 सितंबर यानी सोमवार से पितृ पक्ष आरंभ हो रहे हैं। आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस दुनिया से सुहागन जाने वाली महिला पितृों का श्राद्ध नवमी तिथि में किया जाता है। संन्यासियों का द्वादशी और अकाल मृत्यु वालों का चतुर्दशी को श्राद्ध होता है। इसके अलावा जिन पितृों की तिथि ज्ञात नहीं होती है उनका अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है।

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श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष का प्रारंभ 20 सितंबर से होगा। पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नई वस्तुओं की खरीदारी आदि वर्जित होंगे। श्राद्ध पक्ष के दौरान सभी कार्य पितृों के निमित ही किए जाते हैं। छह अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध होने के साथ ही पितृ पक्ष संपन्न होंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है।

इसके बाद 20 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएंगे। सोमवार को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा, जबकि 21 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा। बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ यमराज की आज्ञानुसार सूक्ष्म रूप में पृथ्वी लोक पर आते हैं। पितृ हमारी ओर से दिए गए श्राद्ध, भोजन, तर्पण आदि ग्रहण करते हैं। जिससे उन्हें संतुष्टि प्राप्त होती है। बताया कि श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है। पितृों के प्रति अटूट श्रद्धा ही श्राद्ध कहलाती है। इसके अंतर्गत ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान, पितृ यज्ञ आदि कार्य संपन्न किए जाते हैं।

पितृों की तिथि पर गाय को खिलाना चाहिए हरा चारा

ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश चंद सेमवाल ने बताया यदि कोई मनुष्य श्राद्ध करने में असमर्थ होता है तो उसे पितृों की तिथि पर गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए। यदि उसके लिए यह भी संभव न हो तो एकांत में जाकर दोनों हाथ ऊपर करके पितृों का स्मरण करने मात्र से भी श्राद्ध कर्म की पूर्ति हो जाती है। बताया कि श्राद्ध पक्ष में केवल पितृों के निमित ही कार्य करना चाहिए।

श्राद्धों की तरीकें

  • पूर्णिमा का श्राद्ध (20 सितंबर)
  • प्रतिपदा का श्राद्ध (21 सितंबर)
  • द्वितीया का श्राद्ध (22 सितंबर)
  • तृतीया का श्राद्ध (23 सितंबर)
  • चातुर्थि का श्राद्ध (24 सितंबर)
  • पंचमी का श्राद्ध (25 / 26 सितंबर)
  • षष्टी का श्राद्ध (27 सितंबर)
  • सप्तमी का श्राद्ध (28 सितंबर)
  • अष्टमी का श्राद्ध 29 (सितंबर)
  • नवमी का श्राद्ध 30 (सितंबर)
  • दशमी का श्राद्ध एक अक्टूबर
  • एकादशी का श्राद्ध दो अक्टूबर
  • द्वादशी का श्राद्ध तीन अक्टूबर
  • त्रियोदशी का श्राद्ध चार अक्टूबर
  • चतुर्दशी का श्राद्ध पांच अक्टूबर
  • अमावस्या का श्राद्ध –छह अक्टूबर

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