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    Navratri 2024: हरिद्वार में स्थित देवी मंदिर 52 सिद्धपीठों में शामिल, यहां निसंतान दंपतियों की भरती है गोद

    Navratri 2024 नवरात्रि 2024 में उत्तराखंड के प्रसिद्ध चूड़ामणि देवी मंदिर में दर्शन करें। हरिद्वार से लगभग 7 किमी दूर स्थित यह सिद्धपीठ मां भगवती के 52 सिद्धपीठों में से एक है। नवरात्रि में यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। मान्यता है कि यहां पर निसंतान दंपती आकर पूजा करते हैं तो उनको संतान की प्राप्ति होती है।

    By Raman kumar Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 05 Oct 2024 04:16 PM (IST)
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    Navratri 2024: मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Navratri 2024: धर्मनगरी हरिद्वार में यूं तो देवियों के कई मंदिर हैं। लेकिन चूड़ादेवी की महिमा ही अनोखी है। भगवानपुर तहसील मुख्यालय से करीब सात किमी दक्षिण दिशा में सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी मंदिर है।

    वैसे तो इस मंदिर में भक्तों का आना-जाना वर्षभर लगा रहता हैं, लेकिन चैत्र एवं शारदीय नवरात्र के मौके पर यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर यहां पर भंडारे आदि करते हैं। नवरात्र में हजारों की संख्या में यहां पर भक्‍तों की भीड़ रहती है।

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    महात्य

    • मां चूड़ामणि मंदिर मां भगवती के 52 सिद्धपीठों में से एक है।
    • इसका वर्णन पुराणों सहित दुर्गा सप्तसती में भी मिलता है।
    • जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से कोई भी मनोकामना लेकर आता है। मान्यता है कि माता उसकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं।
    • कहा जाता है कि जब भगवान शंकर सती को लेकर ब्रह्मांड में घूम रहे थे तो भगवान विष्णु के सुदर्शन से सती का चूड़ा यहां पर गिर गया था। तभी से यह स्थान चूड़ामणि के नाम से विख्यात है।
    • मान्यता है कि यहां पर निसंतान दंपती आकर पूजा करते हैं तो उनको संतान की प्राप्ति होती है। मंदिर से वह लोकड़ा (लकड़ी का गुड्डा) चोरी से अपने साथ ले जाते हैं।
    • संतान होने पर अषाढ़ माह में संतान के साथ ढोल-नगाड़ों सहित मां के दरबार में पहुंचकर इसे वापस करते है। प्रसाद चढ़ाते हैं। तथा भंडारा इत्यादि भी करते हैं।
    • मंदिर प्रतिदिन सुबह चार बजे खुलता है। रात आठ बजे मंदिर के कपाट बंद होते हैं।
    • इसी गांव में एक सिद्ध बाबा बणखंडी भी हुए थे। ये 84 सिद्ध बाबाओं में से एक हैं। सर्वप्रथम मंदिर का शुभारंभ इनके द्वारा ही किया गया था।

    ऐसे पहुंचे

    चूड़ामणि देवी मंदिर में पहुंचने के लिए श्रद्धालु वाया भगवानपुर से होकर आते हैं। इसके अलावा पेंसेंजर ट्रेन के जरिए मंदिर से करीब तीन किमी दूर चुड़ियाला रेलवे स्टेशन पर उतरते हैं और यहां से विक्रम आदि से मंदिर पहुंचते थे। यहां पर आवागमन के साधन सुगमतापूर्वक मिल जाते हैं।

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    मां चूड़ामणि मंदिर में 12 महीने भक्तों की भीड़ रहती है। रुड़की, सहारनपुर और आसपास के देहात क्षेत्र के अलावा हिमाचल, दिल्ली, पंजाब, जम्मू- कश्मीर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि शहरों से भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र पर मां के दर्शन करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र में यहां पर भीड़ काफी अधि रहती है। - मंदिर के पुजारी पंडित अनिरुद्ध शर्मा

    मंदिर समिति की ओर से यहां पर श्रद्धालुओं की सेवा के लिए कई कदम उठरए गए हैं। यहां पर विश्राम आदि की भी व्यवस्था है। जो व्यक्ति रुकना चाहते हैं वह गांव में रुक सकते हैं। मंदिर की विशेष महत्ता है। नवरात्र के दिनों में पूरा गांव श्रद्धालुओं के आतिथ्य सत्कार में लगा रहता है। - कुलदीप त्यागी प्रबंधक मंदिर समिति

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।