Updated: Fri, 25 Apr 2025 09:27 AM (IST)
हरिद्वार में चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) को लेकर आयोजित मॉक ड्रिल में विभागों और एनजीओ के बीच तालमेल की कमी दिखी। अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई। एम्बुलेंस शिवपुल की जगह धनुषपुल पहुंच गई। कई अधिकारी अनुपस्थित रहे कुछ निश्चिंत दिखे। जिलाधिकारी ने अनुपस्थित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। इस ड्रिल ने चारधाम यात्रा की तैयारियों में खामियों को उजागर किया।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। चारधाम यात्रा के मद्देनजर हरिद्वार में आयोजित प्रायोजित मॉक ड्रिल में विभागों और शामिल हुए एनजीओ में समन्वय एवं विज्ञता की कमी उजागर हुई। जबकि कुछ अधिकारियों की लापरवाहीपूर्ण कार्यशैली भी सामने आई।
बृहस्पतिवार को माक ड्रिल में बताया कि सीसीआर हरिद्वार के पीछे स्थित शिवपुल पर अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। हैरानी की बात यह रही कि पूर्व सूचना के बावजूद कई अधिकारी निर्धारित समय पर कंट्रोल रूम नहीं पहुंचे। कुछ अधिकारी माक ड्रिल के दौरान अत्यंत धीमी गति और निश्चिंत भाव में पहुंचते दिखाई दिए, जबकि कुछ ऐसे भी थे जो कार्यक्रम की समाप्ति तक अनुपस्थित ही रहे।
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अनुपस्थित अधिकारियों ने अपने प्रतिनिधियों को भी कार्यक्रम में भेजने की आवश्यकता नहीं समझी। मॉक ड्रिल के दौरान समन्वय की स्थिति इतनी दयनीय रही कि घटना स्थल शिवपुल के लिए रवाना की गई एम्बुलेंस, मार्ग भ्रम के चलते लगभग 500 मीटर दूर धनुषपुल पर पहुंच गई। इससे आपात स्थिति में सहायता पहुंचाने में देरी दर्ज हुई।
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चारधाम यात्रा को लेकर किया गया मॉक ड्रिल। जागरण (फाइल फोटो)
मॉक ड्रिल में सम्मिलित प्रमुख स्वयंसेवी संस्थाएं (एनजीओ) भी अपेक्षित समन्वय स्थापित करने में असफल रहीं। जिम्मेदारी का निर्वहन करने के स्थान पर अनेक स्वयंसेवी संगठन केवल फ्रेम में आने की उत्सुकता में संलग्न दिखे। कार्यक्रम में अनुपस्थित अधिकारियों में मुख्य कृषि अधिकारी, मुख्य उद्यान अधिकारी, बीएसएनएल के एजीएम, जिला पंचायत राज अधिकारी सहित अन्य अधिकारी सम्मिलित रहे।
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जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए अनुपस्थित अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब करने के निर्देश जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत को दिए हैं। माक ड्रिल में उपस्थित कुछ अधिकारी एवं संस्थाएं यह तक स्पष्ट नहीं कर पाए कि उनकी भूमिका क्या है। घायल व्यक्तियों के प्राथमिक चिन्हांकन में गंभीर और सामान्य श्रेणियों में वर्गीकरण को लेकर भी संबंधित अधिकारी एवं स्वयंसेवी संस्थाएं अनभिज्ञ दिखीं।
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